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ओएनजीसी द्वारा वैश्विक ऊर्जा उद्योग में मौजूदगी का विस्तार जिसमें बहुत सारे व्यवधानों से सामना होगा : विश्व ऊर्जा नीति शिखर सम्मेलन में अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक

6 फरवरी 2020 को नई दिल्ली में 8वें विश्व ऊर्जा नीति शिखर सम्मेलन (डब्ल्यूईपीएस) में बोलते हुए, सीएमडी श्री शशि शंकर ने कहा कि निकट भविष्य में ऊर्जा उद्योग में व्यापक व्यवधान होगा। "आगे बढ़ते हुए, ओएनजीसी इसमें शामिल होने के लिए एक बहुत ही रोमांचक स्थान होगा, क्योंकि यह संचालन में कई गुना विस्तार करेगा।" ओएनजीसी के सीएमडी शिखर सम्मेलन में इंडीपेंडेंट एनर्जी पॉलिसी इन्स्टीट्यूट के अध्यक्ष श्री नरेंद्र तनेजा के साथ बातचीत कर रहे थे, जिसमें वैश्विक ऊर्जा उद्योग के प्रमुख व्यक्तियों ने भाग लिया था। डब्ल्यूईपीएस  ऊर्जा उद्योग के लिए चर्चा, बहस और निर्देशन को प्रोत्साहित करने के लिए एक वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है।

सीएमडी शशि शंकर (दाएं) नई दिल्ली में 8वें विश्व ऊर्जा नीति शिखर सम्मेलन में नरेंद्र तनेजा (बाएं) के साथ बातचीत करते हुए
सीएमडी शशि शंकर (दाएं) नई दिल्ली में 8वें विश्व ऊर्जा नीति शिखर सम्मेलन में नरेंद्र तनेजा (बाएं) के साथ बातचीत करते हुए

अगले 10-15 वर्षों में ओएनजीसी के भविष्य पर एक प्रश्न के उत्तर में, श्री शंकर ने कहा, “हमने भविष्य को ध्यान में रखते हुए एक ऊर्जा रणनीति 2040 तैयार की है। हम ओएनजीसी के लिए कल्पना करते हैं कि यह तेल और गैस पर फोकस बनाए रखते हुए सभी मूल्य श्रृंखला में अपनी स्थिति का विस्तार करें।” उन्होंने कहा कि ओएनजीसी ऊर्जा पोर्टफोलियो में नवीकरणीय का प्रतिशत बढ़ेगा।

श्री तनेजा ने भारत में बदलते ऊर्जा परिदृश्य में ओएनजीसी के रूख को जानना चाहा, विशेषकर ई एंड पी खंड में। सीएमडी ने कहा कि 2003 में शुरू किया गया गहरा जल (डीडब्ल्यू) अभियान में वह अग्रणी थे। ओएनजीसी ने गहरे और अत्यधिक गहरे जल (यूडीडब्ल्यू) में 100 से अधिक कुओं को ड्रिल किया, जिससे कुछ महत्वपूर्ण खोजें हुईं और डीडब्ल्यू भाग क्लस्टर II और यूडीडब्ल्यू कुआं 98/2 विकसित हो रहा है।

श्री शंकर ने कहा कि देश का ऊर्जा भविष्य गहरे पानी सहित कम अन्वेषण वाले क्षेत्रों में निहित है। उन्होंने कहा कि “भारतीय तलछटी बेसिन विशाल हैं और हमने इसके आधे से भी कम का अन्वेषण किया है क्योंकि डाटा उपलब्ध नहीं था। संसाधन आधार का पुन: मूल्यांकन किया गया है और ओएनजीसी और ओआईएल ने 2डी सर्वेक्षण किया है। अब, जल्द ही हमारे पास कुछ और अधिक उत्पादक बेसिन होंगे - जिसकी शुरुआत कच्छ से होगी। बहुत सारी अन्वेषण गतिविधि चालू है।”   

बातचीत के दौरान, श्री नरेंद्र तनेजा ने कहा कि पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के अनुसार, देश में ऊर्जा की मांग दोगुनी हो जाएगी। उन्होंने इस संबंध में सीएमडी के विचारों के बारे में पूछा कि भारत अपनी घरेलू आपूर्ति को कैसे बनाए रखेगा और बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए ओएनजीसी अपने उत्पादन को दोगुना करने के लिए कैसे तैयार है।

यह उल्लेख करते हुए कि हाल ही में कोई बड़ी टिकट खोज नहीं हुई है, सीएमडी श्री शंकर ने कहा, “वास्तविक रूप से, तरल ईंधन की घरेलू आपूर्ति अपेक्षाओं को पूरा करने में सक्षम नहीं होगी। हालांकि, भारत में प्राकृतिक गैस का उत्पादन बढ़ेगा। ओएनजीसी में गैस उत्पादन में पिछले चार वर्षों में लगभग पांच प्रतिशत प्रति वर्ष की वृद्धि हुई है और भविष्य में विकास की उच्च दर देखी जाएगी। पूर्वी तट की एक परियोजना अकेले बड़े पैमाने पर उत्पादन को बढ़ावा देगी।”

एक सवाल के उत्तर में कि क्या भारत में बड़ी विदेशी ऊर्जा परिसंपत्ति रखने का चीनी मॉडल अपनाया जा सकता है, तो श्री शंकर ने कहा, “हां, भारत पहले से ही इस रास्ते पर है। आंकड़ों के अनुसार, ओएनजीसी विदेश लिमिटेड अपनी मूल कंपनी ओएनजीसी के बाद अब भारत में दूसरा सबसे बड़ा तेल और गैस निकाय है।

श्री नरेंद्र तनेजा ने ओएनजीसी के सीएमडी से उन ऊर्जा कंपनियों (ओएनजीसी के अलावा) के बारे में जानना चाहा जिनकी वे सराहना करते है। श्री शंकर ने कहा कि राष्ट्रीय तेल कंपनियों (एनओसी) में, पेट्रोनास और इक्विनोर का काम सराहनीय है। उन्होंने कहा कि कंपनियों के अपने-अपने क्षेत्रों में मजबूत बिंदु है, अत: पृथक-पृथक कंपनियों की पहचान करना उचित नहीं होगा।

कार्य जीवन संतुलन की बात करते हुए, श्री तनेजा ने पूछा कि ओएनजीसी जैसे बड़े ऊर्जा संगठनों के सीईओ संगठन सीमाओं से परे कैसे दिखते हैं, खासकर यह देखते हुए कि जीवाश्म ईंधन कंपनियों को प्रदूषणकारी तत्वों के रूप में देखा जाता है।

सीएमडी ने कहा कि सभी हितधारकों को ऊर्जा के महत्व की जानकरी देने के लिए संचार महत्वपूर्ण है, और उस ऊर्जा पोर्टफोलियो में, जीवाश्म ईंधन का निरंतर महत्व है। "ऊर्जा आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।" ओएनजीसी की धारणीयता एक प्रमुख मुद्दा है और सभी हितधारक इस तथ्य को समझेंगे। “ओएनजीसी अपने कार्बन पदचिह्न को कम कर रहा है। ओएनजीसी, ओएनजीसी त्रिपुरा पावर कॉरपोरेशन जैसे कई स्वच्छ विकास तंत्र (सीडीएम) परियोजनाओं को शुरू करने वाले पहले सार्वजनिक उपक्रमों में से एक है, जिससे बहुत अधिक सीईआर सृजित होते है। अत:, हम धारणीयता में सक्रिय हैं और ऊर्जा रणनीति 2040 में, ओएनजीसी की नवीकरणीय ऊर्जा में महत्वपूर्ण उपस्थिति होगी।"

श्री तनेजा के प्रश्न का उत्तर देते हुए कि क्या ऊर्जा रणनीति 2040 के लिए नेतृत्व वृद्धि आंतरिक रूप से पूरी हो जाएगी, तो सीएमडी ने उल्लेख किया कि ओएनजीसी में आंतरिक रूप से पेशेवरों को तैयार करने की संस्कृति है। "ओएनजीसी’’ को अब एक अमेरिकी एजेंसी द्वारा 'ग्रेट प्लेस टू वर्क' के रूप में प्रमाणित किया गया है। उन्होंने कहा, "ओएनजीसी के पास आंतरिक रूप से तैयार अग्रणियों की एकसंस्कृति है और हमारी रणनीति 2040 की यात्रा में, मेरा मानना ​​है कि अग्रणी ओएनजीसी से ही होंगे।"

6 फरवरी 2020 को आठवें विश्व ऊर्जा नीति शिखर सम्मेलन में सम्मेलन का विषय था 'ऊर्जा : नए आधार, नए अवसर'। सम्मेलन की वाणिज्य और रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल, पूर्व अध्यक्ष और सऊदी अरामको के सीईओ श्री अब्दुल्ला एस. जुमाह, रिसटैड एनर्जी नार्वे के सीईओ श्री जरंद रिस्टैड, नयारा एनर्जी लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री बी. आनंद, सीईओ और निदेशक (परियोजनाएं) गेल (इंडिया) लिमिटेड श्री आशुतोष कर्नाटक, लीड कंट्री मैनेजर साउथ एशिया एक्सॉनमोबिल गैस (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड श्री पी.पी.डेविस, क्षेत्रीय अध्यक्ष और कंट्री प्रमुख, बीपी ग्रुप श्री शशि मुकुंदन और एनटीपीसी लिमिटेड के सीएमडी श्री गुरदीप सिंह द्वारा शोभा बढ़ाई गई थी।

इस अवसर पर बोलते हुए मंत्री श्री पीयूष गोयल ने नवीकरणीय में निरंतरता के लिए नई तकनीकों को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जीवाश्म ईंधन आधार को आपूर्ति करता है और इसलिए भविष्य में एक महत्वपूर्ण अंग बना रहेगा, जिस पर प्रौद्योगिकियों के आगमन के साथ नवीकरणीय साधनों का विकास होगा। "अत:, हमें यूरोपीय वित्तीय संस्थानों के दृष्टिकोण के विपरीत जीवाश्म ईंधन आधारित परियोजनाओं में निवेश करना जारी रखना चाहिए, जिन्होंने जीवाश्म ईंधन परियोजनाओं को रोक दिया है।"   

सऊदी अरामको के सीईओ श्री अब्दुल्ला एस. जुमाह ने कहा कि भारत में विकास की गति कभी भी विस्मित करने से रोकती नहीं है और यह अक्सर आने वाली यात्रियों को भी दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि हालाँकि सऊदी अरब गणराज्य को कई टिप्पणीकारों ने 'रूढ़िवादी' और 'परिवर्तन के प्रतिकूल' के रूप में देखा है, लेकिन देश में अब एक आधुनिक सरकार है और प्रमुख आर्थिक संकेतक विश्व औसत से बेहतर हैं।