देश के एक प्रमुख महारत्न के रूप में ओएनजीसी ने लगातार पिछले दो वर्षों में अपने सीएसआर बजट का 100% उपयोग कर एक बेंचमार्क स्थापित किया है। विदित है कि इस दौरान प्रत्येक वर्ष हमारा सीएसआर बजट 500 करोड़ रुपये से अधिक रहा है। एक जिम्मेदार कॉर्पोरेट नागरिक के रूप में यह ओएनजीसी की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है जिसमें समाज को समान पैमाने पर वापस लौटाने का भाव समाहित है।
ओएनजीसी नेतृत्व ने यह सुनिश्चित किया है कि सरकार के अधिदेश के अनुसार सीएसआर बजट का 33% हिस्सा स्वच्छ भारत परियोजनाओं पर खर्च हो। इसके अलावा, पिछले तीन वर्षों में 65.90% परियोजनाएँ शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के प्राथमिकता वाले फोकस क्षेत्रों में लागू की गई हैं।
नीति आयोग के निर्देशों के अनुसार, ओएनजीसी ने 20 आकांक्षी (एस्पिरेशन) जिलों की पहचान की है, और यह कार्यनीतिक सीएसआर परियोजनाओं को लागू कर इन जिलों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। वित्त वर्ष 2018-19 तक 31 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएँ सफलतापूर्वक कार्यान्वित की जा चुकी हैं।
वर्ष 2018-19 में ही, ओएनजीसी ने देश के हर कोने को कवर करते हुए 4000 से अधिक परियोजनाएँ लागू की हैं। स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, कौशल विकास, स्वच्छ भारत और ग्रामीण विकास के फोकस क्षेत्रों में समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाली कंपनी की कुछ गौरवपूर्ण उपलब्धियां नीचे दी गई हैं :
स्वास्थ्य देखभाल पहल
वंचित तबके के लिए 300 बिस्तरों का मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल
आपकी कंपनी ने असम के शिवसागर में एक मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल की स्थापना कर उत्तर-पूर्व भारत के लोगों की स्वास्थ्य देखभाल चिंताओं को दूर करने की दिशा में एक बड़ी सीएसआर पहल को साकार किया है। 300 बिस्तरों वाले अस्पताल के पहले चरण की सेवाएँ मार्च 2019 के पहले सप्ताह से आम जनता को मिलने लगी हैं। 313 करोड़ रुपये की लागत से तीन चरणों में पूरा होने वाले इस अस्पताल से यह उम्मीद है कि इससे प्रति वर्ष एक लाख से अधिक मरीज लाभान्वित होंगे।
अस्पताल की मुख्य विशेषताएं ::
- यह तीन चरणों में पूरा होने वाले 300 बिस्तरों का मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल है।
- 50 बिस्तरों वाले अस्पताल के पहले चरण की सेवाएँ 1 मार्च 2019 से शुरू हो गई।
- एक धर्मार्थ संस्थान डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर वैद्यकीय प्रतिष्ठान, औरंगाबाद, जिसका धर्मार्थ दृष्टिकोण से स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में 28 वर्षों से अधिक समय का अनुभव है, को इस अस्पताल का निर्माण प्रबंधन परिचालन भागीदार बनाया गया है।
- बाह्यरोगी विभाग (ओपीडी) और आंतरिक रोगी विभाग (आईपीडी) के लिए शुल्क बाजार दरों की तुलना में बहुत कम हैं, इसके अलावा, यहाँ बीपीएल परिवारों को और अतिरिक्त छूट दी जाएगी।
- वर्तमान में, इसमें 2 ऑपरेशन थिएटर, 4 जनरल वार्ड, 5 प्राइवेट वीआईपी कमरे, 4 बिस्तरों वाला 1 डायलिसिस इकाई, डेंटल ओपीडी, फार्मेसी, अल्ट्रासाउंड, एक्स रे, आदि की सुविधा भी उपलब्ध है।
नागपुर में एक कैंसर संस्थान
नागपुर में, ओएनजीसी ने राष्ट्रीय कैंसर संस्थान की स्थापना में सहायता की है, जो 455 बिस्तरों वाला एक चतुर्दिक देखभाल कैंसर केंद्र है। यह संस्थान मध्य भारत की आम जनता को किफ़ायती दरों पर विश्वस्तरीय कैंसर उपचार सुविधा प्रदान करेगा। ओएनजीसी द्वारा अत्याधुनिक रेडियो डायग्नोस्टिक उपकरण के वित्तपोषण के साथ साथ संस्थान के प्रथम तल और भूतल के निर्माण का वित्तपोषण किया गया है। अप्रैल 2019 तक इस परियोजना से 10 हजार से अधिक लोग लाभान्वित हो चुके हैं।
अनन्य रूप से बुजुर्गों के लिए डोर-स्टेप चिकित्सा उपचार
ओएनजीसी देश के दूरदराज के गांवों में रहने वाले बुजुर्गों को उनके स्थान पर ही चिकित्सा उपचार उपलब्ध करा रहा है। 31 मोबाइल मेडिकल यूनिट (एमएमयू) के माध्यम से 9 राज्यों के 371 गांवों की जरूरतों को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है।” वित्त वर्ष 2018-19 में, 5,92,301 उपचारों के माध्यम से 17,260 मरीजों/ लाभार्थियों तक सेवा पहुंचाई गई है।
मोबाइल मेडिकल यूनिट में एक मरीज का उपचार
ओएनजीसी - एमआरपीएल लेडी गोस्चेन अस्पताल, मंगलुरु
मंगलुरु शहर के केंद्र में स्थित लेडी गोस्चेन अस्पताल की स्थापना 1849 में हुई थी, और यह पूरे कोंकण क्षेत्र में एकमात्र अस्पताल है जो विशेष रूप से प्रसव-पूर्व और प्रसवोत्तर देखभाल प्रदान करता है। हर महीने औसतन 500 महिलाओं को प्रसव-पूर्व/प्रसवोत्तर देखभाल के लिए भर्ती किया जाता है और उनका इलाज किया जाता है। अस्पताल का 167 वर्ष पुराना भवन जर्जर हालत में था, और यहाँ हर दिन बड़ी संख्या में मरीज आते थे। इसलिए, यहाँ अतिरिक्त सुविधाओं की तत्काल आवश्यकता थी। अस्पताल परिसर में नया विंग शुरू करने में आर्थिक मदद करने के लिए मंगलुरु के जिला प्रशासन ने ओएनजीसी से संपर्क किया। ओएनजीसी ने लेडी गोस्चेन सरकारी अस्पताल, मंगलुरु में नए 'ओएनजीसी - एमआरपीएल विंग' के निर्माण के लिए 12.78 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की। अस्पताल के नए भवन का उद्घाटन फरवरी, 2019 में किया गया।
मंगलुरु के लेडी गोस्चेन अस्पताल का नया विंग
दृष्टिबाधितों के लिए एक पहल
वित्त वर्ष 2018-19 में, पूरे भारत में आयोजित 62 नेत्र जांच शिविरों के माध्यम से 17,522 मरीजों का उपचार किया गया, जिनमें विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा मोतियाबिंद के 2,579 ऑपरेशन किए गए और एक विशेषीकृत एजेंसी के माध्यम से देश भर के 20 जिलों में 11,313 चश्मे वितरित किए गए। इसके अलावा, अहमदाबाद में 1,000 से अधिक नेत्रहीन दिव्यांगजनों को स्मार्ट सेंसर आधारित नेविगेशन छड़ियाँ प्रदान की गईं।
त्रिमूर्ति अस्पताल का सुदृढीकरण
आपकी कंपनी ने अहमदाबाद से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित त्रिमूर्ति अस्पताल बलवा को जटिल चिकित्सा स्थितियों और गंभीर चोटों वाले ट्रॉमा मरीजों का यथोचित उपचार करने के लिए 10 बिस्तरों वाले आईसीयू तथा अत्याधुनिक ऑपरेशन थिएटर हेतु चिकित्सा उपकरण और अवसंरचनाएं प्रदान की हैं। यह अस्पताल हृदय रोगों, फेफड़ों की गंभीर बीमारी, कैंसर और सड़क दुर्घटना वाले मरीजों का इलाज करता करता है, और यहाँ लगभग 100 किमी के दायरे से निम्न सामाजिक - आर्थिक वर्ग के लोग इलाज के लिए आते हैं।
नवीनीकृत त्रिमूर्ति अस्पताल, अहमदाबाद
केरल में मेडिकल अवसंरचना सुविधाओं का उन्नयन
ओएनजीसी ने केरल के एर्नाकुलम में स्थित श्री सुधींद्र मेडिकल मिशन अस्पताल के उन्नयन और नवीकरण के लिए बनाई गयी एक परियोजना का वित्तपोषण किया है। ओएनजीसी की सहायता से भूतल पर आईसीयू और सीसीयू का निर्माण किया गया है, प्रथम तल पर चार ऑपरेशन थिएटर और छह कमरे तैयार किए गए हैं तथा (43 कमरों वाले) चतुर्थ तल का नवीनीकरण का कार्य पूरा किया गया है। अस्पताल में प्रतिदिन 300 बाह्य रोगी आते हैं और महीने में 150 छोटे व बड़े ऑपरेशन किए जाते हैं।
स्वच्छ भारत और पर्यावरण संरक्षण पहल
भारत भर में स्वच्छ पेयजल सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित की स्थापना की गई है :
- 2309 ट्यूब वेल और हैंड पंप
- 121 वाटर आरओ
- 26 वाटर एटीएम
वाराणसी में वाटर एटीएम असम के एक विद्यालय में वाटर आरओ प्योरिफायर
खुले में शौच से मुक्ति (ओडीएफ़) की पहल:
गांव को ओडीएफ घोषित करने के लक्ष्य से देश भर में 33,662 आईएचएचएल, 412 स्कूल शौचालयों और 43 सामुदायिक शौचालयों का निर्माण किया गया है।
आपकी कंपनी ने त्रिपुरा को खुले में शौच मुक्त राज्य घोषित करने में मदद करने के लिए 20,833 अनुपयोगी आईएचएचएल के पुनर्निर्माण के लिए वहाँ की राज्य सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
धारावी, मुंबई में सामुदायिक शौचालय
स्वच्छ हिमालय पहल
ओएनजीसी उन पहली कंपनियों में से है जिसने हिमालय की ऊंची पर्वत चोटियों को स्वच्छ बनाने की पहल की है। वित्त वर्ष 2018-19 में, भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन (आईएमएफ) के साथ साझेदारी में नौ स्वच्छता पहल/अभियान चलाए गए थे, और इनमें शामिल टीमों ने पर्यावरण-अनुकूल ढंग से निपटान के लिए 130 टन कचरे को नीचे लाने में सफलता हासिल की।
प्राचीन नदी ‘सरस्वती’ को पुनर्जीवित करना
प्राचीन नदी को पुनर्जीवित करने के इरादे से सरस्वती नदी के अतिप्राचीन मार्ग पर 10 डीप वाटर ट्यूब वेल का वेधन किया गया। वाप्कोस के सहयोग से क्रियान्वित इस परियोजना के माध्यम से हरियाणा राज्य के 10 गांवों में पेयजल और सिंचाई सुविधा की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।
गहराई में ट्यूब वेल हेतु खुदाई
सार्वजनिक स्थानों और धरोहर स्थलों का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण
आपकी कंपनी द्वारा एनबीसीसी के साथ साझेदारी में वाराणसी में, 4 प्राचीन कुंडों नामतः दुर्गाकुंड, लक्ष्मीकुंड, लाट भैरव कुंड और करीम कुंड का जीर्णोद्धार किया गया है। अहमदाबाद में, सिद्धि सईद मस्जिद को रखरखाव और सौंदर्यीकरण के निमित्त एक वर्ष की अवधि के लिए अंगीकृत किया गया है।
सुदूर गांवों में सड़कों पर स्वच्छ और संधारणीय सड़क रोशनी समाधान सुनिश्चित करना
हमारे देश के दूरदराज के उन गांवों में जहां नियमित रूप से बिजली नहीं आती है, ओएनजीसी ने सफलतापूर्वक 36,597 सोलर स्ट्रीट लाइट लगाए हैं।
सोलर स्ट्रीट लाइट के माध्यम से दूरदराज के गांवों को प्रकाशित करना
साबरमती नदी तट की सफाई
अहमदाबाद में साबरमती नदी तट के 5 किमी के हिस्से से 579 टन कचरा इकट्ठा कर उसे पूरी तरह से साफ कर दिया गया है। यहाँ 50,000 पौधे लगाकर क्षेत्र को पूरी तरह नया रूप देने की योजना है। इस परियोजना को दृष्टि फाउंडेशन, सिंचाई विभाग और अहमदाबाद नगर निगम के सहयोग से क्रियान्वित किया गया है।
परियोजना सखी - सैनिटरी वेंडिंग मशीन के माध्यम से मासिक धर्म स्वच्छता का संवर्धन
‘परियोजना सखी - आशा की एक किरण’ एक स्वच्छ भारत पहल है जिसे बालिकाओं को मासिक धर्म स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए शिवसागर में क्रियान्वित किया गया है। इस पहल का उद्देश्य छात्राओं में बेहतर और वैज्ञानिक ढंग से मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (एमएचएम) का संवर्धन करना है, और इसे जिला प्रशासन शिवसागर, यूनिसेफ और ओएनजीसी द्वारा संयुक्त रूप से क्रियान्वित किया गया है। इस परियोजना से शिवसागर जिले के 13 राजकीय बालिका उच्च विद्यालयों, शिवसागर बालिका महाविद्यालय, केंद्रीय विद्यालय, आदर्श विद्यालय तथा नाजिरा और शिवसागर के दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) सहित 4 सह-शिक्षा संस्थानों की 7000 छात्राएँ लाभान्वित होंगी। इसके अलावा, हजीरा में इसी तरह की एक और परियोजना लागू की गई है जहां 118 विद्यालयों को पर्यावरण-अनुकूल अशुद्धिनाशक (भस्मक) प्रदान किए गए।
ग्रीन सोल - वंचितों को जूते प्रदान करने की एक अनूठी पहल
इस पहल के माध्यम से, ओएनजीसी के कर्मचारियों और अन्य लोगों द्वारा दान किए गए पुराने जूतों से नए जूते बनाकर वंचित परिवारों के विद्यालय जाने वाले छात्रों को प्रदान किया गया। इस पायलट प्रोजेक्ट को पहले हजीरा में शुरू किया गया और बाद में दिल्ली में भी इसे दोहराया गया। इस परियोजना के माध्यम से दरीगबाद (ओडिशा), ललितपुर (उत्तर प्रदेश) और निजामाबाद (तेलंगाना) के गांवों के 22,101 वंचित बच्चे लाभान्वित हुए। इस परियोजना को कंधमाल जिला सबुजा वैद्य संगठन और ग्रीनसोल फाउंडेशन के साथ साझेदारी में क्रियान्वित किया गया था।
हरिद्वार में जैव-सीएनजी संयंत्र
ओएनजीसी ने हरिद्वार में जैव-सीएनजी सह उर्वरक एवं बॉटलिंग संयंत्र स्थापित कर गाय के गोबर को उपयोगी ईंधन और मूल्य-वर्धित उत्पादों में रूपांतरित करने की एक अनूठी पहल शुरू की है। यह संयंत्र उत्तराखंड की सबसे बड़ी गौशाला द्वारा संचालित किया जा रहा है, और गौशाला परिसर में साफ और स्वच्छ अपशिष्ट प्रबंधन बनाए रखने में मदद कर रहा है। इससे हरिद्वार की स्थानीय आबादी को स्वच्छ पर्यावरण की उपलब्धता में मदद मिल रही है, साथ ही परियोजना के माध्यम से आय-सृजन भी हो रहा है जिससे गौशाला को आत्मनिर्भर बनाकर 2,200 गैर दुधारू गायों को सुरक्षा देने में भी मदद मिल रही है। यह संयंत्र जैविक ठोस और तरल उर्वरकों का भी उत्पादन कर रहा है जिसे स्थानीय किसानों के बीच वितरित किया जाता है, और इस तरह जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है।
हरिद्वार में बायो-सीएनजी संयंत्र
शिक्षा को बढ़ावा देना
एकल अध्यापक वाला अनौपचारिक विद्यालय
आपकी कंपनी द्वारा देश के विभिन्न भागों में 970 एकल विद्यालयों को सहायता प्रदान की गयी है, जिसका उद्देश्य उन बच्चों को अनौपचारिक शिक्षा प्रदान करना है जो विभिन्न कारणों से औपचारिक शिक्षा का लाभ उठाने में समर्थ नहीं हैं।
इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए कोचिंग संस्थान
“ओएनजीसी सुपर 30" द्वारा शिवसागर (असम) में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के 30 छात्रों को देश के प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश पाने के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। पिछले पांच वर्षों में इस पहल से 145 छात्र लाभान्वित हुए हैं।
पूर्वोत्तर में शैक्षणिक बुनियादी ढांचे का विकास
पूर्वोत्तर में ओएनजीसी के लिए विद्यालयी शिक्षा मुख्य ध्यान क्षेत्रों में से एक है। असम और त्रिपुरा के कई स्कूलों में नामांकन कराने वाले छात्रों की संख्या बढ़ी है लेकिन उन छात्रों को समायोजित करने के लिए विद्यालयों में पर्याप्त कक्षाएं नहीं हैं। ओएनजीसी ने शैक्षणिक बुनियादी ढांचे के उन्नयन के लिए असम और त्रिपुरा के दूरस्थ स्थानों में 35 विद्यालयों और महाविद्यालयों को सहायता प्रदान की है ताकि अधिकाधिक छात्रों का नामांकन संभव हो सके।
संस्कृत भाषा का संवर्धन
प्राचीन संस्कृत भाषा को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से ओएनजीसी ने सीबीएसई स्कूलों की सभी कक्षाओं के लिए संस्कृत पाठ्य-सामग्री विकसित करने, विभिन्न विषयों की पाठ्य-पुस्तकों का संस्कृत भाषा में अनुवाद और प्रकाशन करने, ऑनलाइन पोर्टल विकसित करने, संवादशाला का आयोजन करने, शिक्षकों के प्रशिक्षण सहित कई अन्य पहलों के लिए संस्कृत संवर्धन प्रतिष्ठान के साथ भागीदारी की है। इस परियोजना के माध्यम से विकसित सभी सामग्री www.samskritpromotion.in पर उपलब्ध है।
कर्नाटक के आर्थिक रूप से कमजोर मेधावी छात्रों के लिए आवास सुविधाएं
आपकी कंपनी ने कर्नाटक के छात्रों की आवास व्यवस्था के लिए तापस पी.यू. कॉलेज, बंगलुरु में छात्रावास भवन के निर्माण के लिए एक परियोजना का वित्त पोषण किया है। इस छात्रावास में प्रत्येक वर्ष निर्धन परिवारों के उन 200 मेधावी छात्रों को आवास व्यवस्था मिलेगी उपलब्ध करवाई जाएगी जो उच्च शिक्षा जारी रखना चाहते हैं और इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश पाने के लिए कोचिंग करना चाहते हैं। यह परियोजना राष्ट्रोत्थान विद्या केंद्र के माध्यम से क्रियान्वित की गई है।
कौशल विकास पहल
अहमदाबाद में कौशल विकास संस्थान,
पेट्रोलियम अनुभाग कौशल पहल के एक भाग के रूप में अहमदाबाद में कौशल विकास संस्थान का शुभारंभ किया गया है। वर्तमान में 9 अलग-अलग ट्रेडों में 780 युवा प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद इन सभी युवाओं को लाभप्रद रोजगार प्राप्त होने की उम्मीद है। इससे पहले, इस कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित सभी 90 युवा लाभप्रद रोजगार प्राप्त कर चुके हैं। इस कौशल विकास पहल के लिए एडीएस फाउंडेशन कार्यान्वयन भागीदार है।
एसडीआई, अहमदाबाद में प्रशिक्षणरत छात्र
जम्मू और कश्मीर के युवाओं का सशक्तीकरण
कुछ वर्ष पहले तक, जम्मू-कश्मीर के बारामूला के युवाओं को सिर्फ पत्थरबाजी के लिए जाना जाता था लेकिन पिछले दो वर्षों में भारतीय सेना के सक्रिय समर्थन से ओएनजीसी द्वारा शुरू की गई कौशल विकास परियोजनाओं के कारण घाटी का परिदृश्य बदल गया है। इन कौशल विकास पहलों के माध्यम से 300 लड़कों को खुदरा बिक्री और आतिथ्य सेवा के क्षेत्र में प्रशिक्षित किया गया है और अन्य 60 लड़कियों को फैशन डिजाइनिंग तथा कटिंग व सिलाई का प्रशिक्षण दिया गया है। दिल्ली स्थित एक गैर-सरकारी संगठन, आरईएसीएचए इस परियोजना का क्रियान्वयन भागीदार है।
बारामुला में, फैशन प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षणरत महिलाएँ
हरित केंद्र (ग्रीन हब) परियोजना
इस अनूठी पहल के माध्यम से वन्यजीव वीडियोग्राफी और दस्तावेजीकरण के क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष 20 युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। पिछले तीन वर्षों में, इस कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित 60 युवाओं को लाभप्रद रूप से नियोजित किया गया, और वे वन्यजीव और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं। कुछ छात्रों ने अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी जीते हैं। हरित केंद्र को मंथन पुरस्कार भी मिला है जो कि वन्यजीव एवं जैव विविधता के संरक्षण और सुरक्षा में तकनीक का उपयोग करने के लिए दिया जाता है।
हरित केंद्र (ग्रीन हब) में छात्र
जलकुंभी शिल्पकला के माध्यम से असम की महिलाओं का सशक्तीकरण
असम के शिवसागर जिले की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जलकुंभी शिल्पकला में प्रशिक्षित किया जाता है। इन प्रशिक्षित 50 महिलाओं में से 20 प्रशिक्षक बन चुकी हैं, और उनमें से भी 5 महिलाओं को मास्टर ट्रेनर बनने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद से एडवांस डिजाइन में प्रशिक्षित किया गया है।
जलकुंभी शिल्पकला का कार्य प्रगति पर
वेल्डिंग और गैस कटिंग में कौशल विकास
शिवसागर स्थित वेल्डिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के माध्यम से असम के 120 युवाओं को वेल्डिंग और गैस कटिंग का प्रशिक्षण दिया गया है। अधिकांश प्रशिक्षु पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद प्रतिष्ठित कंपनियों में लाभप्रद रोजगार प्राप्त कर चुके हैं जबकि शेष प्रशिक्षु स्थानीय उद्योग में कार्य कर रहे हैं।
पूर्वोत्तर और उत्तराखंड के युवाओं के लिए आतिथ्य क्षेत्र में रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण
असम और उत्तराखंड के 40 युवाओं को नौकरी की 100% गारंटी के साथ दिल्ली में एक विशेष आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए चुना गया है। सफल प्रशिक्षण के उपरांत, आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के इन युवाओं को विभिन्न प्रकार के होटल उद्योग में नौकरी मिल गई है।
प्लास्टिक प्रौद्योगिकी में कौशल विकास
त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, राजस्थान और दिल्ली के सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के 500 युवाओं को प्लास्टिक प्रौद्योगिकी में सीआईपीईटी के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने वाले 95% युवाओं को रोजगार मिल गया है।
प्लास्टिक प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षण
ग्रामीण विकास
अरुणाचल प्रदेश के गांवों में ओएनजीसी की सीएसआर पहलों की छाप
अरुणाचल प्रदेश में ग्रामीण बुनियादी ढांचे के विकास के लिए ओएनजीसी ने शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और सामुदायिक विकास के क्षेत्र में योगदान किया है। निर्जुली में बी.एड. कॉलेज और नहर्लागुन में बालिका छात्रावास के निर्माण का वित्तपोषण किया गया। पापुम पारे जिले के दो ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे का उन्नयन करने की दृष्टि से एंबुलेंस और एक्स-रे मशीनों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की गई। नवगठित लोअर सियांग जिले में दूरदराज के दो ब्लॉकों में दो एंबुलेंस उपलब्ध कराए गए। अपर सुबनसिरी में 115 सौर स्ट्रीट लाइटें लगाई गईं और 10 सामुदायिक केंद्रों के निर्माण में सहायता प्रदान की गई। पश्चिम सियांग जिले में ओएनजीसी ने विद्यालय भवन, शौचालय, शिक्षकों के लिए क्वार्टर और 10 सामुदायिक केंद्रों के निर्माण के लिए धनराशि देने के अलावा आलो सरकारी अस्पताल और बसर सीएचसी के उन्नयन के लिए एक्स-रे मशीन, अल्ट्रा साउंड मशीन, डेंटल एक्स-रे मशीन, एंबुलेंस और अन्य उपकरण प्रदान किए गए। जीरो में, जीरो सरकारी अस्पताल के लिए अल्ट्रा साउंड मशीन, एक्स-रे मशीन और एम्बुलेंस तथा विद्यालय भवन के निर्माण के लिए धन प्रदान किया गया।
यिगि काउम में सामुदायिक केंद्र लिकाबाली में बालिका छात्रावास
ज़ीरो सरकारी अस्पताल में बीरू गाँव, पश्चिम सियांग में विद्यालय भवन
जैविक खेती प्रशिक्षण केंद्र
यह परियोजना तेलंगाना के तंदूर और विकराबाद मंडल में प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई थी। ओएनजीसी के वित्तपोषण से समग्र मूलभूत सुविधाओं की स्थापना की गई है। इस परियोजना में जैविक खेती को बढ़ावा देने से लगभग 3500 किसान, 200 छात्र और सामान्य उपभोक्ता लाभान्वित होंगे।
ग्रामीण घरों का सौर विद्युतीकरण
काछार जिले (असम) के सिलचर नगर के नारायणपुर रेल बस्ती गाँव के निवासी दशकों से बिजली की अनुपलब्धता के कारण कठिनाईयां झेल रहे थे। इस परियोजना के माध्यम से दो ग्रामीण महिलाओं को बेयरफुट कॉलेज में सौर विद्युतीकरण के सभी घटकों के बारे में छह महीने तक प्रशिक्षण दिया गया। अपना प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा होने पर इन दोनों महिलाओं ने गाँव के प्रत्येक घर में सौर विद्युतीकरण का पूरा काम संपन्न किया। इन दो महिलाओं द्वारा किए जा रहे मरम्मत और रखरखाव कार्य के साथ अब, पूरे गांव में सौर ऊर्जा जनित बिजली उपलब्ध होगी।
अरुणाचल प्रदेश के रोइंग में प्रलेखन केंद्र
अरुणाचल प्रदेश प्राकृतिक संसाधनों और जैव विविधता से संपन्न राज्य है। स्थानीय जनजातीय आबादी ने बीते वर्षों में खेती के विभिन्न पारंपरिक तरीके, हस्तकला, पाकविधि आदि विकसित की हैं, जो अद्वितीय और अनमोल हैं। राज्य की जनजातीय जीवनशैली की इस समृद्ध विरासत को संरक्षित करने की दृष्टि से, ओएनजीसी ने अरुणाचल प्रदेश के लोअर दिबांग घाटी के रोइंग में एक प्रलेखन केंद्र स्थापित करने के लिए इस परियोजना का वित्तपोषण किया है।
आकांक्षी जिलों में पहल
ओएनजीसी द्वारा देश के 20 आकांक्षी जिलों में बड़े पैमाने पर सीएसआर परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। गुजरात के दाहोद जिले में, एक विस्तृत आवश्यकता मूल्यांकन सर्वेक्षण करने के बाद कई पहल शुरू की गयीं हैं। ये पहलें दाहोद के सात तालुकों में सुरक्षित पेयजल, सिंचाई, ग्रामीण विकास, आईएचएचएल के निर्माण, आंगनबाड़ियों के विकास, स्मार्ट डिजिटल कक्षाओं और कई अन्य परियोजनाओं के माध्यम से की जा रही हैं। परियोजनाओं का विवरण इस प्रकार है :
- 532 विद्यालयों में डिजिटल शिक्षा
- 19 रोक बांधों (चेक डैम) का निर्माण
- 5 सामुदायिक नलकूपों का निर्माण
- 5 सामुदायिक कुओं का निर्माण
- 5 गांवों में वंचित किसानों के लिए कृषि मॉडल परियोजनाओं के साथ एकीकृत कृषि डेयरी
- 60 आंगनबाड़ियों में शौचालय का निर्माण
- प्रथम चरण में 8 गांवों में आईएचएचएल का निर्माण
- 50 आंगनबाड़ियों का निर्माण
- वर्ष 1990 की कालावधि में निर्मित 7 रोक बांध की मरम्मत।
अन्य सभी आकांक्षी जिलों में हमारा ध्यान मुख्य रूप से शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में है। ये परियोजनाएं जिला प्रशासन के परामर्श के बाद शुरू की जाती हैं। बोकारो में, शौचालय निर्माण, सौर स्ट्रीट लाइट, हैंड पंप और कौशल विकास के क्षेत्र में मध्यवर्तन किए गए हैं। अन्य स्थानों पर, इसी तरह की परियोजनाएं पहले ही शुरू की जा चुकी हैं और अगले वित्तीय वर्ष में अन्य बड़ी परियोजनाएं शुरू करने का प्रस्ताव है।
दाहोद जिले में रोकबांध दाहोद में डिजिटल कक्षा