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shale-gas

shale gas production

राष्‍ट्रीय तेल कंपनियों (एनओसीज) द्वारा भारत में शैल गैस और तेल के अन्‍वेषण तथा दोहण के लिए भारत सरकार द्वारा अधिसूचित नीतिगत दिशानिर्देशों के अनुसार, ओएनजीसी ने, चरण । के अंतर्गत 50 नामांकन पीएमएल (पेट्रोलियम माइनिंग लीज) ब्‍लॉकों की पहचान की है । अब तक किए गए अन्‍वेषणात्‍मक प्रयासों के परिणामस्‍वरूप, आरंभिक स्‍वस्‍थाने ऑनलैंड आरक्षित भंडारों के लगभग 356 मिलियन टन (तेल और तेल समतुल्‍य गैस) वाली 65 लघु से मध्‍यम आकार की हाइड्रोकार्बन फील्‍डों की खोज की गई है । वर्तमान में तेल और गैस का उत्‍पादन क्रमश: 750-800 टन प्रति दिन और 25.5-3 मिलियन क्‍यूबिक मीटर है।

Shale Gas in india

  • देश के चार बेसिनों अर्थात कैम्बे, कृषणा-गोदावरी, कावेरी और ए एवं एए बेसिनों में शैल गैस/तेल की संभावना का मूल्‍यांकन करने के लिए अन्‍वेषण आरंभ किया गया है।
  • 31 मार्च, 2017 को यथास्थिति, 19 पीएमएल ब्‍लॉकों में 22 मूल्‍यांकन कूपों (कैम्बे बेसिन में 5 अनन्‍य शाले गैस और 17 दोहरे उद्देश्‍य कूपों) का वेधन किया गया है और शैल गैस/ तेल मूल्‍यांकन के लिए अपेक्षित आंकड़े सृजित किए जा रहे हैं/ उनका मूल्‍यांकन किया जा रहा है।
  • इस वर्ष के दौरान, कैम्बे बेसिन में चार दोहरे उद्देश्‍य वाले कूपों का वेधन किया गया है । चालू वर्ष के दौरान कूपों में एकत्र किए गए कोर और नमूनों के प्रयोगशाला अध्‍ययन, पूर्णता के भिन्‍न–भिन्‍न चरणों में हैं।
  • कूप जेएमएसजीए (जेएम सं. 55) में एक दूसरा ज़ोन (कूप संख्‍या के बजाय फील्‍ड/ ब्‍लॉक का उल्‍लेख किया जाए) हाइड्रोफ्रैक्‍चर किया गया है और हाइड्रोफ्रैक्‍चर सक्रियकरण के बाद की अवधि के दौरान तेल के संकेत का अवलोकन किया गया है ।
  • 21 मार्च, 2017 तक नॉक आउट किया गया संचयी तेल, 2.35 एम3 था। प्रभावी सक्रियकरण के लिए कूप को गैस लिफ्ट मूल्‍य (जीएलवी) पर रखा गया है। पहले, प्रथम जोन से, गैस के साथ तेल का कूप संचयी प्रवाह 19 एम3 और फ्लो बैक वाटर लगभग 173 एम3 था।
  • ओएनजीसी ने, ` 217 करोड़ की अनुमानित लागत पर कृष्‍णा–गोदावरी (केजी) बेसिन में शैल गैस और तेल के लिए पाँच कूपों का वेधन करने के लिए पर्यावरणीय अनुमति प्राप्‍त की है। उसने केजी बेसिन में, शैल गैस और तेल के अन्‍वेषण का भी प्रस्‍ताव किया और पर्यावरण मंत्रालय द्वारा इसकी जांच की गई।
  • मंत्रालय ने, केजी बेसिन में पांच कूपों के अन्‍वेषणात्‍मक वेधन के लिए ओएनजीसी को अंतिम पर्यावरण अनुमति दी है । प्रस्‍ताव के अनुसार, ओएनजीसी की योजना, शैल गैस की संभाव्‍यता का मूल्‍यांकन करने के लिए कृष्‍णा, पश्चिम गोदावरी और पूर्व गोदावरी जिलों में, पश्चिम गोदावरी बंतुमिली विस्‍तारण, सूयीराओपेटा, महादेवापटनम और मांदापेटा में आनलैंड ब्‍लॉकों में कूपों का वेधन करने की है।
  • प्रत्‍येक कूप का वेधन करने के लिए लगभग 5-6 एकड़ भूमि की और 90-120 दिन प्रति कूप की अवधि की आवश्‍यकता होगी। ये सभी कूप केवल जल-आधार कीचड़ के साथ वेधित किए जाएंगे।
  • चूंकि केजी बेसिन के पास, अतिरिक्‍त आरक्षित रकबे के लिए महत्‍वपूर्ण वायदा है, इसलिए पेट्रोलियम मंत्रालय अन्‍वेषणात्‍मक क्रियाकलाप जारी रखने में उत्‍सुक है।