गैस हाइड्रेट, जल का, एक ठोस बर्फ की तरह का आकार है, जिसमें इसके मोलेक्यूलर छिद्रों में गैस मोलेक्यूल होते हैं।
विश्व में गैस हाइड्रेट्स की बड़ी मात्रा मौजूद है। हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में वैज्ञानिक इस रूप को, प्राकृतिक गैस के भावी स्रोत के रूप में मानते हैं। तथापि, खास बात यह है कि विश्व में किसी भी देश ने, इन हाइड्रेट्स से गैस के निष्कर्षण के लिए प्रौद्योगिकी विकसित नहीं की है।
जापान और कनाडा दो ऐसे देश हैं, जो लंबे समय से इस प्रौद्योगिकी पर काम कर रहे हैं और यह दावा करते हैं कि अगले 4-5 वर्षों में गैस हाइड्रेट्स से वाणिज्यिक गैस का उत्पादन करना संभव होगा।
ओएनजीसी, राष्ट्रीय गैस हाइड्रेट कार्यक्रमों (एचजीएचपीज) में एक सक्रिय सहभागी रहा है। इस बढ़ावा देने के लिए, पनवेल में 14 सितंबर, 2016 को एक गैस हाइड्रेट अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (जीएचआरटीसी) स्थापित किया गया है। यह केंद्र, गैस हाइड्रेट अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी विकास को गति देता है और यथाशीघ्र ऊर्जा स्रोत के रूप में गैस हाइड्रेट के वाणिज्यिकीकरण के लिए भारत सरकार की योजना के प्रति योगदान करता है।
ओएनजीसी ने आंध्र प्रदेश तट से दूर गहरे समुद्र में गैस हाइड्रेट के आरक्षित भंडारों का पता लगाया है। ये आरक्षित भंडार, क़ष्णा–गोदावरी बेसिन में स्थित हैं, जिनका लगभग एक दशक पहले पता चला और नए आरक्षित भंडारों के लगभग 134 ट्रिलियन क्यूबिक फुट (टीसीएफ) होने का अनुमान है। यूनाइटेड स्टेट्स के गैस आरक्षित भंडार लगभग एक-तिहाई हैं, जो विश्व में प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा उत्पादक है।
गैस की इतनी बड़ी मात्रा ऊर्जा सेक्टर में देश को आत्मनिर्भर बनाकर भविष्य में भारत का भाग्य बदल सकती है, जो वर्तमान में अपनी खपत की आवश्यकताओं का 80 प्रतिशत आयात करता है।