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E&P company in India

ई एण्ड पी प्रौद्योगिकी

ओएनजीसी, तेल और गैस के अन्‍वेषण एवं उत्‍पादन के और तेल फील्‍ड सेवाओं से संबंधित सभी क्रियाकलाप क्षेत्रों में आंतरिक सेवा सक्षमताओं वाली भारत में सबसे बड़ी अन्‍वेषण एवं उत्‍पादन कंपनियों में से एक है। पिछले वर्षों में शामिल की गई और आत्‍मसात की गई अति आधुनिक प्रौद्योगिकियां हैं – जैसे गहन व्‍यवस्‍था प्रोसेसिंग, स्‍ट्राटीग्राफिक इनवर्जन, उन्‍नत मात्रा आधारित व्‍याख्‍या औज़ार, तटस्‍थ नेटवर्क का इस्‍तेमाल करके स्‍टोचास्टिक लिथोफेसिज मॉडलिंग स्‍पेक्‍ट्रल डिक्‍म्‍पोजिशन, भूगर्भीय-सांख्यिकीय मॉडलिंग आदि।

ओएनजीसी का मिशन – ''शामिल हुए लोगों के साथ अनुसंधान एवं विकास तथा प्रौद्योगिकी में प्रतियोगितात्‍मक लाभों को सहारा देकर उत्‍कृष्‍टता के प्रति समर्पित'' है।

ओएनजीसी संस्‍थानों की समिति

भारत के शीर्ष महारत्‍न के रूप में ओएनजीसी, ''ओएनजीसी संस्‍थानों की समिति'' या 'सीओआईएन' के तत्‍वावधान में बारह विश्‍व स्‍तरीय संस्‍थान स्‍थापित करके, देश में अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी विकास में अग्रणी रहा है। ये बारह संस्‍थान, भारत के हाइड्रोकार्बन उद्योग की रीढ की हड्डी बन गए हैं और तेल तथा गैस उत्‍पादन के पूरे स्‍पेक्‍ट्रम को सहायता देते हैं, जो कूप बोर से आरंभ होती है और उपभोक्‍ता स्‍थान पर इसकी परिणती होती है।

ईपीआईएनईटी

ओएनजीसी ने, पालन करने हेतु उद्योग के लिए बेंचमार्क निर्धारित किए हैं। ओएनजीसी ने ईपीआईएनईटी स्‍थापित किया है, जिसके माध्‍यम से विभिन्‍न बेसिनों के बेसिन एवं पेट्रोलियम प्रणाली मॉडलिंग के लिए एक सजीव अन्‍वेषण एवं उत्‍पादन सूचना नेटवर्क और एक वास्‍तविक आंकड़ा आधार विकसित किया गया है। एससीएडीए के जरिए भिन्‍न–भिन्‍न स्‍तरों पर सभी उत्‍पादन एवं वेधन कार्यकारी, वर्धित प्रचालनात्‍मक दक्षता और उत्‍पादकता के लिए ऑनलाइन एससीएडीए आंकड़ों का उपयोग करते हैं और लाभ प्राप्‍त करते हैं।

3-डी वर्चुअल वास्‍तविकता केंद्र

ओएनजीसी ने, अपतट और अभितट अनुप्रयोगों की सूचना और वास्‍तविक समय पर प्रसार के लिए 'तीसरी आंख' (थर्ड आई) के रूप में विख्‍यात चार 3-डी वर्चुअल वास्‍तविकता केंद्र स्‍थापित किए हैं। इन केंद्रों का उपयोग, उत्‍पादनशील तेल और गैस फील्‍डों की वास्‍तविक निगरानी सहित अन्‍वेषण एवं उत्‍पादन क्रियाकलापों के लिए किया जाता है और इस प्रकार सभी प्रमुख परियोजनाओं के लिए प्रौद्योगिकियों की समानांतर संगणना करके एक साथ ओएनजीसी के नेटवर्क के सभी केंद्रों की सहायता कर रहे हैं।

ओएनजीसी के प्रबंधन द्वारा आरंभ किया गया एसएपी कार्यान्‍वयन

समय से आगे की बात सोचते हुए, 2002 में, ओएनजीसी के प्रबंधन ने एसएपी कार्यान्‍वयन आरंभ किया था, जो अब तक देखा गया भारत का सबसे बड़ा कार्यक्रम सिद्ध हुआ। ओएनजीसी अब अद्यतन अग्रणी प्रौद्योगिकियों के आत्‍मसात्‍करण के जरिए एक पेपर रहित कार्यालय के प्रति अग्रसर हो रहा है।

ओएनजीसी ने, सूचना प्रौद्योगिकी के सशक्‍त माध्‍यम के जरिए अपने बहु-आयामी व्‍यवसाय क्रियाकलापों के पुन: अनुकूलन का सहारा लिया। 'ओएनजीसी को मूलभूत प्रतियोगितात्‍मक लाभ के प्रति स्‍थान देने के लिए एक एकीकृत, सुनम्‍य और मानकीकृत सूचना प्रौद्योगिकी आर्चिटेक्‍चर विकसित करने हेतु' सूचना प्रौद्योगिकी मिशन का पुन: अनुकूलन किया गया। वर्तमान अेकेले अनुप्रयोगों (यूएफएसओ – वित्‍तीय प्रबंधन के लिए, एसएचआरएएमआईसी – मानव संसाधन प्रबंधन के लिए, आईएमएमएस – सामग्री प्रबंधन के लिए आदि) और अन्‍य परंपरागत सूचना प्रणालियों को एक सामूहिक ईआरपी प्‍लेटफार्म के अधीन लाया गया। इस प्रकार, ओएनजीसी के बोर्ड, विशेष रूप से 'एक संगठन, एक आंकड़ा और एक सूचना' के उद्देश्‍य वाले तत्‍कालीन अध्‍यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री सुबीर राहा, के कार्यनीतिक विज़न से परियोजना आईसीई, दक्षता के लिए सूचना समेकन उत्‍पन्‍न हुई।

परियोजना आईसीई

ओएनजीसी ने, परियोजना आईसीई के नाम से एक उद्यम व्‍यापी ईआरपी भी कार्यान्वित की। इसमें, हिमाचल प्रदेश के ज्‍वालामुखी स्थित सचल सर्वेक्षण इकाइयों से आरंभ करके बंगाल की खाड़ी स्थित गहन समुद्री वेस्‍सल तक, असम के दूर-दराज के क्षेत्रों में उत्‍पादन संस्‍थापनाओं से राजस्‍थान के रेगिस्‍तान में वेधन रिगों तक पूरे देश में 500 से अधिक भौतिक स्‍थानों में 23 एसएपी मॉड्यूल शामिल हैं।

पिछले वर्षों में, ओएनजीसी ने, अति गहन जल वेधन में एक सुदृढ़ सक्षमता विकसित की है। 2004 से ओएनजीसी ने लगभग 100 गहन जल कूपों का वेधन किया है। इन कूपों में से बड़ी संख्‍या में, भारत के पूर्वी तट और पश्चिमी तट के पर्यावरणीय और संभारतंत्रीय रूप से कठिन क्षेत्रों, जिनकी रेंज अंडमान अपतट में 6 कूपों सहित गुजरात अपतट से महानदी अपतट तक है, में 5000 फुट से अधिक की जल गहराई में हैं। इनमें से लगभग 25 कूप 500 फुट से 7500 फुट के गहन जल में हैं और 16 कूप 7500 फुट से 10000 फुट के गहन जल में वेधित किए गए हैं। वर्तमान विश्‍व रिकार्ड कूप संख्‍या 1-डी-1, जो वेधन के अधीन है, 1000 फुट से अधिक जल गहराई में तीसरा कूप है। ओएनजीसी ने हाइड्रोकार्बन अन्‍वेषण में अद्यतन प्रौद्योगिकी के साथ गति बनाए रखने के लिए पिछले कुछ वर्षों में किए गए स्‍थायी प्रयासों के कारण, यह प्रशंसनीय उपलब्धि प्राप्‍त की है और यह विविधतापूर्ण और चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में बड़ी संख्‍या में अति गहन जल कूप वेधित करने वाली विश्‍व की कुछ ही कंपनियों में से एक कंपनी है।

पिछले 15 वर्षों के दौरान, गहन जल प्रचालनों में घोर परिश्रम करने के बाद ओएनजीसी आज देश के लिए ऊर्जा सुरक्षा की खोज में अति गहन जल वेधन प्रचालनों में किसी भी चुनौती के लिए पूरी तरह तैयार है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थानों के साथ सहयोग

2015 के आरंभ में ओएनजीसी ने, हाइड्रोकार्बन के अन्‍वेषण एवं उत्‍पादन तथा वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों में वृद्धि करने के लिए स्‍वदेशी प्रौद्योगिकियाँ विकसित करने हेतु सात भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थानों के साथ सहयोग ज्ञापन (एमओसी) किया है। इस एमओसी के अंतर्गत ओएनजीसी के अनुसंधान एवं विकास संस्‍थान तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान, सामान्‍य तौर पर देश के अन्‍वेषण एवं उत्‍पादन (ईएंडपी) सेक्‍टर के लिए और विशेष रूप से ओएनजीसी के तेल फील्‍ड विशिष्‍ट क्रियाकलापों के लिए संयुक्‍त रूप से उन्‍नत अनुसंधान एवं विकास परियोजनाएँ आरंभ करेंगे।