ओएनजीसी ने देश की ऊर्जा की बढ़ती आवश्यकताएँ पूरी करने के लिए ऊर्जा के विभिन्न रूपों का मूल्यांकन करने के लिए कदम उठाए हैं । देश में तेल और गैस प्रौद्योगिकी के परिदृश्य में सुधार करने के प्रयास जारी रखते हुए, इसने ओएनजीसी ऊर्जा केंद्र न्यास (ओईसीटी) स्थापित किया है, जिसके द्वारा हाइड्रोकार्बन से आगे के वाणिज्यिक रूप से व्यवहार्य ऊर्जा माध्यमों और स्रोतों, विशेष रूप से स्वच्छ और/या नवीकरणीय ऊर्जा विकल्पों में सुधार करने और उन्हें विकसित करने के लिए मौलिक और अनुप्रयुक्त अनुसंधान के कार्यक्रमों/ परियोजना आरंभ करने या उनमें सहायता करना अनिवार्य किया गया है। ओएनजीसी ऊर्जा केंद्र (ओईसी), विभिन्न स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों पर कार्य करने के लिए ओईसी न्यास के तत्वावधान में स्थापित किया गया है।
भारत में संसाधनों की संभावना होते हुए, हाइड्रोकार्बन के भावी स्रोत हैं – भूमिगत कोयला गैसीकरण और मीथेन हाइड्रेट्स । भारत में तेल और गैस प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के पहले से मौजूदा विस्तृत पोर्टफोलियो में अभिवर्द्धन करते हुए, ओएनजीसी की योजना, अनुसंधान एवं विकास फोकस के भाग के रूप में इन दो प्रकार के उभरते संसाधनों में मौलिक और अनुप्रयुक्त अनुसंधान को समर्थन देने की है। इसने मुंबई में गैस हाइड्रेट अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (जीएचआरटीसी) स्थापित किया है। यह कंपनी, राष्ट्रीय गैस हाइड्रेट कार्यक्रम (एनजीएचपी) बनाने और इसका कार्यान्वयन करने में एक सक्रिय सहभागी होने के कारण गैस हाइड्रेट अन्वेषण में अग्रणी रही है।
ओएनजीसी द्वारा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान-
ज्योपिक
ओएनजीसी, देहरादून में 1987 में स्थापित जियोडाटा प्रोसेसिंग एवं व्याख्या केंद्र, अन्य भू-वैज्ञानिक आंकड़ों के साथ भूकंपीय आंकड़े एकीकृत करके जटिल अन्वेषण एवं उत्पादन समस्याओं का समाधान उपलब्ध कराता है । भारतीय और विदेशी बेसिनों के ओएनजीसी के भूमि और समुद्रीय भूकंपीय आंकड़े, इस केंद्र में सहक्रियात्मक रूप से संसाधित (प्रोसेस) किए जाते हैं और उनकी व्याख्या की जाती है, जिसके पास विशेषज्ञों द्वारा समर्थित विश्व स्तरीय अति आधुनिक अवसंरचना है।
आरंभ से ही ज्योपिक ने स्वयं को एक उत्कृष्टता केंद्र में रूपांतरित कर लिया और आज यह ओएनजीसी के प्रमुख संस्थानों में से एक है।
आईडीटी
वेधन प्रौद्योगिकी संस्थान (आईडीटी) देहरादून में 1978 में स्थापित किया गया था। पिछले वर्षों में यह संस्थान, दक्षिण पूर्वी एशिया में एक प्रमुख अनुसंधान एवं विकास केंद्र के रूप में उभर कर आया। वेधन प्रौद्योगिकी संस्थान (आईडीटी), कंपनी के लागत प्रभावी अन्वेषण एवं उत्पादन क्रियाकलापों को बढ़ावा देने के अंतिम उद्देश्य से ओएनजीसी की विभिन्न सेवाओं द्वारा सामना की जा रही विभिन्न फील्ड समस्याओं का समाधान और अपनी तकनीकी-आर्थिक विशेषज्ञता उपलब्ध कराता है।
आईईओटी
अभियांत्रिकी एवं अमुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (आईईओटी), प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए ओएनजीसी की भावी योजनाओं के अभिनवीकरण, विकास और तीव्रीकरण हेतु 1983 में स्थापित किया गया था । इस संस्थान ने, भू-तकनीकी अभियांत्रिकी, संरचनात्मक अभियांत्रिकी, जोखिम एवं विश्वसनीयता अभियांत्रिकी, सामग्री एवं संक्षारण अभियांत्रिकी के प्रमुख क्षेत्रों में विशेषज्ञता विकसित कर ली है और वैकल्पिक ऊर्जा अनुभाग 2012 में स्थापित किया गया था।
आईओजीपीटी
तेल एवं गैस उत्पादन प्रौद्योगिकी संस्थान (आईओजीपीटी), तेल एवं गैस फील्डों और प्रोसेसिंग संयंत्रों की उत्पादन और प्रोसेसिंग संबंधी प्रौद्योगिकीय आवश्यकता पूरी करने के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से प्राप्त सहायता से 1984 में स्थापित किया गया था। यह संस्थान, परवेल, नवी मुंबई में प्रौद्योगिकी पार्क में स्थित है।
आईओजीपीटी, तेल और गैस उत्पादन के पूरे स्पेक्ट्रम को एकीकृत अनुसंधान एवं विकास सहायता उपलब्ध कराने वाला देश में पहला संस्थान है, जो वेल बोर से आरंभ करता है और उपभोक्ता के स्थान पर पराकाष्ठा पर पहुंचता है।
इप्शेम
पेट्रोलियम संरक्षा, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण प्रबंधन संस्थान (आईपीएसएचईएम), पेट्रोलियम सेक्टर में संरक्षा, व्यावसायिक स्वास्थ्य और पर्यावरण पद्धतियों तथा मानकों को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1989 में ओएनजीसी द्वारा गोवा में स्थापित किया गया था। इसने 1997 से दक्षिण गोवा में बेतुल गांव में अपने स्वयं के परिसर से कार्य करना आरंभ किया।
आगार अध्ययन संस्थान (आईआरएस)
अहमदाबाद में मई, 1978 में स्थापित किया गया आरक्षित भंडार अध्ययन संस्थान (आईआरएस), ओएनजीसी की तेल और गैस फील्डों की विकास योजनाएं बनाने के लिए नोडल एजेंसी है। यह, भूकंपीय, भूगर्भीय, कूप लॉगिंग, आरक्षित भंडार और उत्पादन आंकड़े सम्मिलित करते हुए एकीकृत आरक्षित भंडार प्रबंधन पर जोर देता है।
पिछले कुछ वर्षों में यह संस्थान, फील्ड पद्धतियों, सिद्धांत और प्रयोगशाला अनुभव का एक मिश्रण रखते हुए विभिन्न विधाओं के भू-वैज्ञानिकों का एक दल निर्मित करने में समर्थ रहा है। अपेक्षित उद्देश्य प्राप्त करने के लिए, बहु-विधा ज्ञान, कौशल, सूचना और प्रौद्योगिकी का नेटवर्क तैयार करने के लिए एक छत के नीचे एकीकृत अध्ययन करने के लिए बहु-विधा दृष्टिकोण अपनाया गया है।
केडीएमआईपीई
केशव दास मालवीय पेट्रोलियम अन्वेषण संस्थान (केडीएमआईपीई), उत्तराखंड राज्य में देहरादून की सुरम्य घाटी में स्थित है। यह, भारत की राष्ट्रीय तेल कंपनी ओएनजीसी के अन्वेषणात्मक प्रयासों को भू-वैज्ञानिक समर्थन प्रदान करने के उद्देश्य से वर्ष 1962 में स्थापित किया गया था।
केडीएमआईपीई, 03 दिसंबर, 2004 से 03 दिसंबर, 2007 तक एक आईएसओ 9001 : 2000 प्रमाणित संस्थान रहा है। गुणवत्ता, स्वास्थ्य, सुरक्षा और पर्यावरण के उच्चतम मानक प्राप्त करने के लिए केडीएमआईपीई ने क्यूएचएसई प्राप्त करने के प्रयास किए और यह 13 जून, 2008 को केडीएमआईपीई को प्रदान किया गया।
ओएनजीसी अकादमी
यह अकादमी, ज्ञान, कौशल और मनोवृत्ति के वर्धन के जरिए उत्कृष्टता को पोषित करने के लिए प्रतिबद्ध है। वैश्विक मौजूदगी वाला एक आईएओ – 9001-2008 प्रमाणित संस्थान, यह अकादमी, गुणवत्ता वाले प्रशिक्षण, शैक्षिक योग्यता के उन्नयन कार्यक्रमों के जरिए तकनीकी, प्रबंधकीय और सॉफ्ट कौशलों को मन में बैठाने, विश्व विख्यात सुविधाओं और संस्थानों – आंतरिक और बाह्य दोनों से, के जरिए आयोजित किए जाने वाले मान्यता पाठ्यक्रमों पर जोर देता है।
ऊर्जा व्यवसायों के किसी विशेषज्ञ को ओएनजीसी के किसी कर्मचारी/ अधिकारी की प्रगति को, ओएनजीसी अकादमी क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्रों (आरटीआईज) और ओएनजीसी के अन्य संस्थानों तथा वैश्विक रूप से मान्यताप्राप्त प्रशिक्षकों के साथ उनके गठबंधन वाले संस्थानों द्वारा सुसाध्य बनाया जाता है।
क्षेत्रीय प्रशिक्षण संस्थान (आरटीआईज)
ओएनजीसी ने, सभी क्षेत्रों में अपने कार्मिकों को प्रशिक्षण एवं विकास की आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए चार क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र (आरटीआईज) स्थापित किए हैं। चेन्नै, मुंबई, सिवसागर और वड़ोदरा में स्थित ये आरटीआईज, ओएनजीसी के कार्यकारियों और गैर-कार्यकारियों के लिए नियमित बहु-विधा प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिए कर्मचारियों के ज्ञान के उन्नयन और कौशल विकास हेतु अपने-अपने सेक्टरों में नोडल एजेंसियां हैं।
एसएमपी
वड़ोदरा के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और अत्यधिक औद्योगीकृत शहर में नवंबर, 2003 में स्थापित एसएमपी, तकनीकी सेवाओं का ध्वज पोत है। यह संस्थान, अनुरक्षण अभियंतओं का व्यापक तकनीकी विकास उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एक ''सिंगल विंडो'' के रूप में स्थापित किया गया था और इसलिए प्रशिक्षणों का फोकस ऐसे फील्ड इंजीनियर हैं जो तेल फील्ड उपकरणों का प्रचालन और अनुरक्षण करते हैं।
सीईडब्ल्यूईएलएल
कूप लॉगिंग प्रौद्योगिकी उत्कृष्टता केंद्र (सीईडब्ल्यूईएलएल), अन्वेषण एवं उत्पादन को एकीकृत समाधान उपलब्ध कराने के विज़न के साथ 02 फरवरी, 2006 में अस्तित्व में आया। इस केंद्र के पास पेट्रो भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में अपने स्वयं के अनुसंधान एवं विकास केंद्र हैं और यह वड़ोदरा में कार्यनीतिक रूप से स्थित है, जो ओएनजीसी के व्यापक रूप से अन्वेषित, विकसित और अध्ययन किए गए बेसिनों में से एक के निट और पहुंच के अंदर है।
सीईडब्ल्यूएलएल, कूप लॉगिंग संबंधी विधा में गुणवत्ता लांग आंकड़ा प्रोसेसिंग, व्याख्या, ज्ञान के आत्मसात्करण और प्रसार के क्षेत्र में एक अनुप्रयुक्त अनुसंधान एवं विकास केंद्र है। यह ओएनजीसी में अति आधुनिक आंकड़ा केंद्र और लॉगिंग आंकड़ा प्राप्ति के निक्षेप के लिए नोडल स्थान के रूप में कार्य करता है।
आईएनबीआईजीएस
जीव प्रौद्योगिकी एवं भू-टेक्नोटिक अध्ययन संस्थान (आईएनबीआईजीएस), भारत के पूर्वोत्तर भाग के हरित परिवेश में जोरहट, असम में 1989 में स्थापित किया गया था और प्रतिष्ठित आईएसओ 9001:2008 प्रमाणीकरण के साथ एक पूर्णत: साधन संपन्न प्रतिष्ठान के रूप में कार्यरत है और वैज्ञानिकों के एक प्रतिभावान तथा समर्पित दल के जरिए पेट्रोलियम जैव-प्रौद्योगिकी के अभिनव अनुसंधान के काम में लगा हुआ है।