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भूमिगत कोयला गैसीकरण की अब तक की सबसे पहली परियोजना, गुजरात उद्योग विद्युत कंपनी लिमिटेड के साथ सहयोग से वास्‍टन माइन ब्‍लॉक सूरत, गुजरात में चलाई गई थी। ओएनजीसी ने, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की विशेषज्ञ मूल्‍यांकन समिति के साथ 15 जनवरी, 2010 को हुई अंतिम बैठक के पश्‍चात पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से परियोजना की पर्यावरणीय स्‍वीकृति प्राप्‍त की है।

underground coal gasification in India

यूसीजी, एकमात्र व्‍यवहार्य प्रौद्योगिकी है, जिसमें कोयला आरक्षित भंडारों के कोयला संसाधनों को रूपांतरित करने की संभाव्‍यता है। ओएनजीसी ने अब, मैसर्स राष्‍ट्रीय खनन अनुसंधान केंद्र – स्‍कोचिंस्‍की खनन संस्‍थान (एनएमआरसी – एसआईएम), रूस के साथ सहयोग से यूसीजी प्रौद्योगिकी स्‍थापित करने के लिए एक अनुसंधान एवं विकास अग्रणी परियोजना के रूप में नानीनारोली, जिला सूरत, गुजरात में, जीआईसीपीएल से संबंधित वास्‍टन खनन ब्‍लॉक निर्माण स्‍थल आरंभ किया है। ओएनजीसी के साथ भारत में भूमि कोयला गैसीकरण (यूसीजी) से संबंधित सेवाओं, प्रचालनों, विकास एवं अनुसंधान में सहयोग करने के लिए सहयोग का करार (एओसी) 04 मार्च, 2020 तक बढ़ा दिया गया है। वास्‍टन अग्रणी परियोजना के संबंध में खनन पट्टा, पहले ही जीआईपीसीएल को अवार्ड कर दिया गया है।

इसके अलावा, यूसीजी में उनकी उपर्युक्‍तता का अध्‍ययन करने के लिए ओएनजीसी और नेवेली लिग्‍नाइट लिमिटेड (एनएलसी) द्वारा संयुक्‍त रूप से अनेक निर्माण स्‍थलों का पता लगाया गया है। ये हैं – गुजरात में ताड़केश्‍वर और राजस्‍थान में होडु-सिंधारी और पूर्वी कुर्ला। ओएनजीसी और जीएमडीसी द्वारा संयुक्‍त रूप से एक और निर्माण स्‍थल अर्थात जिला भावनगर, गुजरात में सुरखा की पहचान की गई है। यूसीजी के लिए इन निर्माण स्‍थलों की उपयुक्‍तता का मूल्‍यांकन करने के लिए सभी फील्‍डों के आंकड़ों का विश्‍लेषण पहले ही कर लिया गया है। सभी निर्माण स्‍थल, यूसीजी अन्‍वेषण के लिए उपयुक्‍त पाए गए हैं।