मुंबई में कैंसर प्रभावित बच्चों की सहायता के लिए ओएनजीसी की पहल
27 जनवरी 2020 को तीन सीएसआर समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाने के साथ, ओएनजीसी ने कैंसर प्रभावित बच्चों के मुंबई में टाटा मेमोरियल सेंटर (टीएमसी) में उपचार करने के लिए अनुबंध किया है, ताकि उनके निदान, उपचार और उपचार-पश्च देखभाल में कम से कम एक निश्चित सीमा तक सहायता की जा सके।
ईडी-एसएम-क्षेत्रीय कार्यालय मुंबई श्री आर.के.शर्मा और टीएमसी के बाल ऑनकोलॉजी चिकित्सा विभाग के निदेशक डॉ. श्रीपद डी. बनावली द्वारा तीन परियोजनाओं पर हस्ताक्षर किए गए, ताकि उनके सामाजिक संगठन इम्पासीसीटी फाउंडेशन के साथ नियोजन किया जा सके। इम्पासीसीटी फाउन्डेशन 2010 से टीएमसी के साथ संबद्ध है और कैंसर वाले बच्चों के उपचार के लिए निधियों की व्यवस्था के क्षेत्र में पूर्णत: रत है।
आर.के. शर्मा और डॉ. श्रीपद डी बनावली कैंसर प्रभावित बच्चों की सहायता के लिए हस्ताक्षरित सीएसआर समझौतों के साथ
पहला समझौता 100 बच्चों में कैंसर के निदान को शामिल करता है, ऐसे बच्चों के लिए 20,000/- रुपये प्रति बच्चे की सीमा के साथ कुल बीस लाख रुपये की राशि उनके लिए रखी गई है, जिनके परिवार नैदानिक परीक्षणों को भी वहन करने में असमर्थ हैं।
दूसरी परियोजना दवाओं, रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी सहित रोग के वास्तविक उपचार की व्यवस्था करती है। प्रस्तावित परियोजना के तहत, बाल चिकित्सा प्रशामक देखभाल को रोग का निदान होने पर उचित रूप से व्यापक देखभाल का एक मुख्य घटक माना जाता है। प्रशामक देखभाल कैंसर के लक्षणों से राहत देती है और रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करती है। कैंसर से पीड़ित सभी बच्चों को ठीक नहीं किया जा सकता है (लगभग अस्सी प्रतिशत को ठीक किया जा सकता है), लेकिन पीड़ा से राहत सभी के लिए संभव है। यहां ओएनजीसी ने प्रति व्यक्ति 2,00,000/- (दो लाख रुपये) के अनुमान के साथ अतिरिक्त बीस लाख रूपए की निधि रखी है।
समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
उपचार-पश्च व्यय तीसरा क्षेत्र है जैसे परामर्श, हार्मोनल उपचार, सीमन क्रायोप्रीज़र्वेशन, ऑक्युलर प्रोस्थेसिस, आर्टेरियल ड्रग्स इत्यादि के अलावा मनोवैज्ञानिक सामाजिक सहायता का उद्देश्य 50 बच्चों को 40,000/- रुपये प्रति बच्चे की दर से वित्त-पोषण मुहैया कराना है।
इस प्रकार यह देखते हुए कि प्रतिवर्ष लगभग 3000 बच्चों के उपचार की लागत लगभग प्रति दिन लगभग 10-12 नई भर्ती के साथ 30,00,00,000 (तीस करोड़ रुपये) तक है, जिसमें परामर्श, बेड शुल्क आदि शामिल नहीं है और सब्सिडीयुक्त दवाएं शामिल है, इन परियोजनाओं को भविष्य में लाभार्थियों के लिए और अधिक सार्थक बनाने हेतु एक अग्रदूत के रूप में लिया गया है।
कैंसर बच्चों के बीच मौत का चोटों के पश्चात दूसरा प्रमुख कारण। प्रतिवर्ष औसतन 70,000 मरीज अपने कैंसर के इलाज के लिए टीएमसी जाते हैं। 2018 में, इनमें से 2800 बाल चिकित्सा रोगी थे। इनमें से 80 प्रतिशत बाल रोगी ठीक हो गए हैं।
टीएमसी में 90 प्रतिशत से अधिक बच्चे बीपीएल परिवारों से आते हैं और इसलिए कष्टदायी कैंसर के उपचार को करवाने के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक, आवास, भावनात्मक, यात्रा और पोषण संबंधी सहायता की आवश्यकता वाले होते है। यद्यपि अधिकांश प्रयास यह किए जाते हैं कि किसी भी बच्चे को उपचार से इंकार नहीं किया जाए, फिर भी कई स्थितियाँ हैं जहाँ उपचार में विलंब हो रहा है या वित्तीय बाधाओं के कारण परिवार द्वारा उपचार छोड़ दिया जाता है।