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ओएनजीसी ऊर्जा सिपाही सी.एन. राव के लिए शौर्य चक्र

ओएनजीसीकर्मी चल्लापिल्ला नरसिम्हा राव को उरान में एक बड़ी आग के दौरान लोगों की जाने बचाने और ऊर्जा महारत्न के व्यापक हितों की रक्षा करने के उनके सहासिक कार्यों के लिए मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। उनका सर्वोच्च बलिदान भारतीय ऊर्जा उद्योग के इतिहास में एक प्रेरणादायक गाथा बना रहेगा।

स्वर्गीय चल्लापिल्ला नरसिम्हा राव (7 जनवरी 1965 - 3 सितंबर 2019)
स्वर्गीय चल्लापिल्ला नरसिम्हा राव (7 जनवरी 1965 - 3 सितंबर 2019)

3 सितंबर 2019 को, श्री सीएन राव उरान संयंत्र में डी-मिनरलाइज्ड वाटर संयंत्र के पास एक तीक्ष्ण हाइड्रोकार्बन गंध की सूचना मिलने पर स्थल पर पहुंचे । मन में विचार राष्ट्र प्रथम का था। तीन सीआईएसएफ सहयोगी पहले से ही वहां मौजूद थे। अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालते हुए, उन्होंने ओएनजीसी की सबसे बड़े हाइड्रोकार्बन प्रसंस्करण सुविधाओं में से एक के लोगों और संपत्ति के लिए जोखिम को कम करने हेतु तेजी से कार्य किया। दुर्भाग्यवश, जब श्री सी. एन. राव तीन सीआईएसएफ सैनिकों के साथ समस्या का समाधान कर रहे थे , तब आग लग गई। यह आग बहादुर ऊर्जा सैनिकों के लिए घातक सिद्ध हुई।

भारत के राष्ट्रपति के श्री सी.एन. राव को राष्ट्र के लिए वीरतापूर्ण बलिदान हेतु शौर्य चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित करने के निर्णय संबंधी संप्रेषण
भारत के राष्ट्रपति के श्री सी.एन. राव को राष्ट्र के लिए वीरतापूर्ण बलिदान हेतु
शौर्य चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित करने के निर्णय संबंधी संप्रेषण

स्वर्गीय श्री चल्लापिल्ला नरसिम्हा राव , महाप्रबंधक (उत्पादन), आंध्र प्रदेश के कुदगाम श्रीकाकुलम में पैदा हुए थे । झारखंड में सेंट जोसेफ हाई स्कूल जमशेदपुर से प्रारंभिक स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने केआरईसी सूरतकल (1985-1989) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी की और इग्नू से मानव संसाधन में अपनी स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की।

वह एक उत्साही फुटबॉलर, खुशमिजाज, देखभाल करने वाला और एक शानदार व्यक्तित्व के धनी थे। उनकी सुखद प्रकृति के चलते वे सभी स्तर के कर्मचारियों के साथ आसानी से घुल-मिल जाते थेा नई चीजों को सीखने की उत्सुकता और शारीरिक फिटनेस के प्रति उत्साह उनके गुण थे।

उन्होंने 1991 में ओएनजीसी में उरान में कार्यभार ग्रहण किया। सर्वश्रेष्ठ में से एक उत्पादन इंजीनियर्स के रूप में संयंत्र के संचालन में विशेषज्ञता प्राप्त करने में 14 वर्ष बिताने के बाद, उन्हें 2004 में मेहसाना परिसंपत्ति में स्थानांतरित किया गया था। मेहसाना परिसंपत्ति में, उन्हें कुआं सेवाओं का कार्य सौंपा गया जहां उन्होंने अपनी छाप छोड़ना जारी रखा था। 2011 में, उन्हें राजमुंदरी परिसंपत्ति में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां वह चार वर्ष के लिए आपदा प्रबंधन टीम में तैनात थे। नई चीजों को सीखने की उनकी जिज्ञासा और त्वरित सीखने की क्षमताओं ने अगरतला में त्रिपुरा परिसंपत्ति को एक और स्थानांतरण के लिए मजबूर कर दिया और उन्हें तकनीकी सेवाएं प्रभारी के रूप में वहां तैनात किया गया।

वर्ष 2018 में, उन्हें उरान संयंत्र में वापस आने के लिए एक मौका मिला, वही जगह जहाँ से उन्होंने ओएनजीसी में अपनी यात्रा शुरू की थी। अपनी गतिशील प्रकृति, कार्य के प्रति अभिरूचि और नेतृत्व की गुणवत्ता के कारण उन्हें निवासी संयंत्र अधीक्षक (आरपीएस) का महत्वपूर्ण कार्य सौंपा गया था।

श्री राव की प्रतिबद्धता और असाधारण कार्य क्षमताओं से उन्होंने कंपनी में कई सम्मान और मेरिट पुरस्कार अर्जित किए।  इनमें से कुछेक में कुआं बालोल # 45 और कुआं एसके# 12 में तथा उसके आसपास ब्लो आउट के नियंत्रण के लिए सराहनीय योगदान हेतु कारपोरेट आपदा प्रबंधन दल के सदस्य के रूप में सीएमडी समूह पुरस्कार, गेल पाइपलाइन विस्फोट के पश्चात 248 कुओं के सुरक्षित संचालन के त्वरित निरीक्षण के लिए मेरिट पुरस्कार और कई अन्य पुरस्कार शामिल है।

उनके परिवार में उनके माता-पिता श्री सी.एस.एन. मूर्ति (84 वर्ष) और श्रीमती सुरया कांतम (79 वर्ष), पत्नी श्रीमती पदमलता और उनके दो पुत्र शिवा परवीन (24 वर्ष) और सत्या प्रणीत (19 वर्ष) है।

यद्यपि श्री सी.एन. राव आज हमारे बीच नहीं हैं, ओएनजीसी हमेशा इस दिव्य आत्मा को एक बेहतरीन उत्पादन इंजीनियर और एक साहसी ऊर्जा सैनिक के रूप में याद रखेगा।