धर्मेन्द्र प्रधान द्वारा चिलका पर विचार गोष्ठी और चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन
माननीय पेट्रोलियम एवं प्रकृतिक गैस, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने आज भारत पर्यावास केंद्र, नई दिल्ली में ओएनजीसी द्वारा भुवनेश्वर बर्ड वाक्स के साथ मिलकर आयोजित "द मंगलाजोड़ी इनहेरिटेन्स" शिर्षक वाली एक अनूठी विचार गोष्ठी तथा चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।
इस विचार गोष्ठी तथा चित्र प्रदर्शनी का उद्देश्य विश्व की सबसे बड़ी खारे पानी की झील चिलका को यूनेस्को से धरोहर दर्जा दिलवाने के लिए मार्ग निर्धारित करने हेतु विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों से मत प्राप्त करना है।
प्रबंध निदेशक, ओएनजीसी विदेश और डी.डी.मिश्रा – निदेशक (मानव संसाधन), ओएनजीसी – प्रख्यात वन्यजीव फोटोग्राफर अविनाश खेमका द्वारा आयोजित एक फोटा प्रदर्शनी में
श्री प्रधान ने उल्लेख किया कि चिलका का पारिस्थितिकीय तंत्र उड़िया मनोवृति, इतिहास तथा संस्कृति का एक अभिन्न अंग है और इसलिए इसका संरक्षण अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि "चिलका को इको-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जाने हेतु अपार संभावनाएं मौजूद हैं। ओएनजीसी ने चिलका के संरक्षण और समग्र विकास और चिलका झील को यूनेस्को के 'विश्व धरोहर स्थल' का दर्जा प्रदान करने के लिए अत्यधिक रूचि दर्शाई है। यह एक सरहानीय प्रयास है।" उन्होंने उल्लेख किया कि "भारत सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए एक पारस्थितिकीय अनुकूल अर्थव्यवस्था बनाने के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के प्रति अपने उत्तरदायित्व को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।" मंत्री जी ने इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों द्वारा निभाई जा रही उत्कृष्ट भूमिका की सराहना की। पर्यावरण संरक्षण से जैव-ईंधन तथा दूसरी पीढ़ी ईथेनौल ईंधन पर फोकस तक कई पहले की गई हैं।
धर्मेंद्र प्रधान दर्शकों को संबोधित तथा चिलका हेतु अपने दृष्टिकोण को साझा करते हुए
भारत में जापान के राजदूत श्री केंजी हीरामतसू ने चिलका में जैव-विविधता के संरक्षण में भारत की भूमिता की सराहना की और कौशल विकास, ज्ञान अंतरण तथा प्रौद्योगिकी समावेश के प्रति जापान के समर्थन को दोहराया। ओएनजीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री शशि शंकर ने कहा कि ओएनजीसी ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति कई पहलें की हैं जैसे कि हिमालय में रिंगल बांस को लगाया जाना, पश्चिमी तट पर मैनग्रोव लगया जाना, और कई धरोहर संरक्षण परियोजनाएं। चिलका में हमारी परियोजना ऐसी ही एक पहल है। उन्होंने कहा की "हमारे सीएसआर कदम रामेश्वरम के तटों से हिमालय की चोटियों तक फैले हुए हैं। आने वाले दिनों में ओएनजीसी की योजना चिलका के आस-पास के क्षेत्रों में कौशल विकास तथा आधारभूत ढ़ांचे के समग्र विकास को लेना तथा चिलका को एक विश्व धरोहर स्थल बनाने की है।"
ओएनजीसी के निदेशक (मानव संसाधन) श्री डी डी मिश्रा ने पर्यावरण और धरोहर संरक्षण के प्रति ओएनजीसी की प्रतिबद्धता को दोहराया। श्री मिश्रा ने कहा कि ओएनजीसी और यूनेस्को जलवायु परिवर्तन की निगरानी करने, पक्षियों के प्रवास पैटर्न को देखने, स्थानीय पारिस्थितिकी को मैप करने और मछली पालन अध्ययनों को करने के उद्देश्य से चिलका में एक संरक्षण संयोजित धारणीय विकास पहल को प्रारंभ करने पर सहमत हुए हैं।
उन्होंने कहा कि "ओएनजीसी को इसकी जानकारी है कि चिलका में संरक्षण प्रयासों में मंगलाजोड़ी के लोगों की भागीदारी की आवश्यकता होगी। हमारे सीएसआर कार्यक्रम के माध्यम से हम विकास के एक धारणीय मॉडल को बनाने के लिए मंगलाजोड़ी में शीघ्र ही परियोजनाओं को प्रारंभ करने का प्रस्ताव रखते हैं।"
इंडियण ग्रामीण सर्विसेस (आईजीएस) के संस्थापक श्री संजीव सारंगी को एक सार्थक प्रभाव वाले धारणीय ईको-पर्यटन मॉडल बनाने के लिए सम्मानित किया गया था। आईजीएस ने एक ऐसी रणनीति बनाई है जो स्थानीय समुदायों के क्षमता निर्माण की सहक्रिया को साथ लेकर चलती है। आईजीएस द्वारा ईको पर्यटन का उपयोग मंगलजोड़ी ईकोटूरिज्म ट्रस्ट (एमईटी) के माध्यम से आजीविकाओं को समर्थ बनाने हेतु मुख्या साधन के रूप में किया जा रहा है। अब 200 से अधिक परिवारों को मंगलाजोड़ी में ईको पर्यटन सेवाओं के प्रचालन हेतु सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया गया है।
ओएनजीसी तथा यूनेस्कों ने चिलका को विश्व धरोहर मानचित्र पर लाने और संरक्षण उपायों हेतु मंगलाजोड़ी को वैश्विक मान्यता दिलवाने के लिए संयुक्त रूप से सर्वेक्षण भी किया है। ओएनजीसी, ओडिशा सरकार और यूनेस्कों के मध्य एक त्रिपक्षीय समझौता अंतिम रूप दिए जाने की प्रक्रिया के अधीन है। यूनेस्कों ने इस उद्देश्य के प्रति समूचे सहयोग का आश्वासन दिया है। ओएनजीसी ने अपने सीएसआर क्रियाकलापों के माध्यम से चिलका में मंगलाजोड़ी गांव के विकास हेतु एक व्यस्थित योजना भी बनाई है। मंगलाजोड़ी चिलका के उत्तरपूर्वी हिस्से पर स्थित 10 वर्ग किलोमीटर की एक नम भूमि है। इस ताजे पानी के क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष नवम्बर तथा मार्च के मध्य 3 लाख से अधिक प्रवासी पक्षी आते हैं।
महत्व के आधार पर ओएनजीसी द्वारा मंगलाजोड़ी में सीएसआर हस्तक्षेप जारी हैं। इनमें सौर लाइटों का स्थापन, नौकाओं का प्रावधान और पृथक घरेलू शौचालय को निर्माण शामिल हैं। योजित अन्य परियोजनाओं में दौरे तथा यात्रा प्रबंधन संबंधी प्रशिक्षण कार्यक्रम, स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र, मोबाइल चिकित्सा देखरेख यूनिट, पेय जल का प्रावधान, विद्यालयों को आधारभूत ढांचा सपोर्ट, सामुदायिक कक्ष का निर्माण तथा ग्रामवासियों को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के साथ जोड़ना शामिल हैं।
मंगलाजोड़ी एक प्रमुख ईको पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने की चिलका की अपार संभाव्यता का प्रतिक है। चिलका के पारिस्थितिकीय के तंत्र को न केवल इसकी अनूठी जैवविविधता के लिए बल्कि इसकी प्राचीनता, संस्कृति तथा धरोहर के लिए भी बचाए तथा संपोषित किए जाने की आवश्यकता है।