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ओएनजीसी को बृहन मुम्बई नगर निगम से शून्य अवशिष्ट प्रत्यायन

बीएमसी ने एमसीजीएम (बृहन मुम्बई नगर निगम) के विशेषज्ञों के दल द्वारा एनबीपी ग्रीन हाइटस में स्थापित प्रणालियों का अनुरक्षण डिजाइन तथा विनिर्देशनों के अनुसार किए जाने का पता लगाने हेतु विशेषज्ञों के एक दल द्वारा की गई जांच के आधार पर एनबीपी ग्रीन हाइटस को शून्य अवशिष्ट भवन के रूप में प्रमाणित किया है। यह ओएनजीसी तथा भवन प्रबंधन दल के लिए एक बड़ी उपलब्धि है जो ईडी-एचआरओ श्री एस.गोपीनाथ के नेतृत्व में सभी हरित विशेषताओं के प्रबंधन में अत्यधिक दक्षतापूर्ण तरीके से कार्य कर रही है।

 

यह उल्लेख करना संगत होगा कि ओएनजीसी ने जलवायु परिवर्तन तथा धारणीयता के संबंध में अपनी कारपोरेट नीति को औपचारिक रूप दिया है और यह ऐसा करने वाला भारत में एकमात्र पीएसयू है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि ओएनजीसी को बिजनेस टुडे एसी-नीलसन ओआरजी मार्ग सवेक्षण, 2004 में भारत की "सबसे हरित कंपनी" का दर्जा दिया गया था।

 

हमारे माननीय प्रधानमंत्री की एक महत्वकांक्षी परियोजना "स्वच्छ भारत अभियान" की ओर एक कदम के रूप में ओएनजीसी हरित भवन-एनबीपी ग्रीन हाइटस वर्ष 2015 में इसकी स्थापना से ठोस तथा तरल कचरे को दक्ष रूप से पृथक तथा उसका प्रसंस्करण कर रहा है।

कचरे को पृथक करने और इसे एसटीपी, ओडब्ल्यूसी, वर्गीकृत कचरे के डिब्बों आदि जैसी तकनीकों के माध्यम से उपचारित करने की प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि तरल या ठोस कचरे के प्रत्येक हिस्से का प्रसंस्करण नगरीय ठोस अवशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार हो। भवन से नगरीय जल निकास प्रणाली को कोई तरल डिस्चार्ज/निपटान नहीं किया जाता है। भवन स्नानागार तथा रसोई में उत्पन्न होने वाले तरल कचरे का भी उपयोग एसटीपी (क्षमता 110 किलोलीटर प्रति दिवस) में उपचार के पश्चात एचवीएसी मेकअप फ्लशिंग तथा बागवानी के लिए किया जाता है। यह 2.5 लाख रूपये की वार्षिक बचत में परिणत होता है। वर्षा जल संचयन पिट से एकत्रित जल का उपयोग भी एचवीएएसी मेकअप के लिए किया जाता है। पेड़ों की पत्तियों तथा बगीचे के अन्य कचरे का उपयोग आर्गेनिक वेस्ट कंपोस्टर (ओडब्ल्यूसी) में खाद तैयार करने के लिए किया जाता है। हरित भवन को संसाधनों के दक्ष उपयोग के संबंध में अत्यधिक चिन्ता दर्शानी चाहिए जिससे पर्यावरण पर प्रभाव कम होता है।

CC Mumbai with Inputs from Mr. Rakesh Gupta, DGM (E&T)