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ऑयल एण्‍ड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी), कच्‍चे तेल और प्राकृतिक गैस के अन्‍वेषण, विकास और उत्‍पादन के काम में लगी एक वैश्विक ऊर्जा होल्डिंग कंपनी है। इसके खंडों में अन्‍वेषण एवं उत्‍पादन (ईएण्‍डपी) तथा रिफाइनिंग शामिल है।

ओएनजीसी के चल रहे अपस्‍ट्रीम अन्‍वेषणात्‍मक प्रयास, तेल और गैस के आरक्षित भंडारों की खोज करने और उनमें वृद्धि करने की जिम्‍मेदारी के साथ भारत में अपने मुख्‍य अन्‍वेषण एवं उत्‍पादन व्‍यवसाय का एक महत्‍वपूर्ण खंड है। इसमें हाइड्रोकार्बन अन्‍वेषण क्रियाकलापों के तीन फलक अर्थात् गहन जल, छिछला जल और अभितट अन्‍वेषण क्रियाकलाप हैं।

भूकंपीय आंकड़ा प्राप्ति प्रोसेसिंग एवं व्‍याख्‍या (एपीआई)

भूकंपीय आँकड़े ओएनजीसी की अपनी स्‍वयं की सर्वेक्ष्‍ण पार्टी/ वैसलों/ उपकरण (आंतरिक) द्वारा और सर्वेक्षण संविदाओं द्वारा संविदात्‍मक किराये पर लिए गए व्‍यक्तियों के माध्‍यम से किए गए 2डी/ 3डी सर्वेक्षणों के रूप में ''भू-भौतिकीय सेवाओं'' नामक विशेष विंग के माध्‍यम से एकत्र किए जाते हैं। यही प्रक्रिया ''लॉगिंग सेवाओं'' नामक एक अलग स्‍कंध के माध्‍यम से बोर होल भूकंपीय/ वायर-लाइन लॉगिंग के लिए भी लागू है।

भूकंपीय आंकड़ा प्राप्ति प्रोसेसिंग एवं व्‍याख्‍या (एपीआई)

भू-भौतिकीय सेवाएँ अपनी विभागीय फील्‍ड पार्टियों / संविदात्‍मक कर्मी दलों के माध्‍यम से ऑनलैंड और मैरिन में 2डी, 3डी और वीएसपी भूकंपीय सर्वेक्षण प्रचालन करती हैं। प्राप्‍त किए गए आंकड़ों का प्रचालन, अनुरक्षण और प्रोसेसिंग काफी हद तक क्षेत्रीय रूप में किए जाते हैं अर्थात् वड़ोदरा क्षेत्र पूरे पश्चिमी भारत के भूमि भू-भौतिकीय प्रचालन की आवश्‍यकताएँ पूरी करता है, देहरादून क्षेत्र उत्‍तरी और मध्‍य भारत, जोरहाट से पूर्वोत्‍तर, मुंबई से पूरी मैरिन आवश्‍यकताएँ आदि पूरी करता है। फील्‍ड प्रचालनों को उपकरण संबंधी सहायता क्षेत्रीय इलेक्‍ट्रॉनिक प्रयोगशालाओं (आरईएल) द्वारा उपलब्‍ध कराई जाती हैं। प्राप्‍त किए गए भूकंपीय आंकड़े जीईओपीआईसी सहित क्षेत्रीय कंप्‍यूटर केंद्रों (आरसीसीज) में प्रोसेस किए जाते हैं। वर्तमान में मैरिन 2डी, 3डी और वीएसपी आंकड़ा प्राप्ति प्रचालनों का कार्य बाह्य स्रोतीकरण के जरिए किया जाता है। सभी फील्‍ड कर्मियों, आरसीसीज और आरईएल को आईएसओ प्रमाणीकरण प्रदान किया गया है।

भूगर्भ-विज्ञान और अन्‍वेषण में अद्यतन प्रौद्योगिकियों के साथ कदम मिलाने के लिए भू-भौतिकीय सेवाएं नैत्‍यक रूप से अपने उपकरणों, प्रयोगशाला उपकरणों और कंप्‍यूटरों तथा उनके हिस्‍से-पुर्जों को प्रतिस्‍थापित करती हैं और उन्‍हें उन्‍नत करती हैं। हाल ही में इसने तीन नई वीएसपी आंकड़ा प्राप्ति प्रणालियां और दस फील्‍ड प्रोसेसिंग इकाइयां (एफपीयू) प्राप्‍त की हैं। एसपीआईसी, मुंबई के लिए भूमि अध्‍ययन ईएस-360 और अतिरिक्‍त मॉड्यूल्‍य नामत: एमपीएफआई (5डी इंटरपोलेशन) और ओमेगा का जीएसएमपी (डी-मल्‍टीपल) जैसे उन्‍नत इमेजिंग सॉफ्टवेयर मॉड्यूलों का प्रापण किया है।

लॉगिंग को सूचना तथा आरक्षित भंडार की विशेषताओं का अनुमान लगाने में भू-गर्भीय विज्ञान को समर्थ बनाने हेतु अन्‍वेषण एवं उत्‍पादन उद्योग की ''आंख'' के रूप में जाना जाता है। लॉगिंग सेवाएँ अच्‍छे लॉगिंग फील्‍ड प्रचालनों के लिए जिम्‍मेदार हैं, जिनमें ड्रिल बिट द्वारा वेधित भू-गर्भीय फार्मेशनों के पेट्रो फिजिकल पैरामीटरों के मापन हेतु अनेक तकनीकें शामिल हैं। आंकड़ों की प्राप्ति और प्रोसेसिंग का कार्य लॉग्‍स (पेट्रो फिजिकल पैरामीटरों बनाम गहराई) के रूप में किया जाता है। इसके पश्‍चात, हाइड्रोकार्बन की संभाव्‍यता, कूपों के प्रवाह संबंधी विशेषताओं आदि के लिए पैरामीटर्स प्राप्‍त करने के लिए इन आंकड़ों की व्‍याख्या की जाती है।

पूरा लॉगिंग आंकड़ा आधार ईपीआईएनईटी प्‍लेटफार्म पर प्राप्‍त किया जाता है, जो समय से और प्रभावी निर्णय लेने के लिए पूरे संगठन में प्राप्तियोग्‍य है। लॉगिंग सेवाओं के लिए एक समर्पित अनुसंधान एवं विकास संस्‍थान ''कूप लॉगिंग में उत्‍कृष्‍टता हेतु केंद्र'' (सीईडब्‍ल्‍यूईएलएल) वड़ोदरा में प्रचालनरत है, जो परिसंपत्तियों और बेसिनों के फील्‍ड विशिष्‍ट फार्मेशन मूल्‍यांकन और आरक्षित भंडार की विशेषताओं की समस्‍याओं का हल निकालता है। विश्‍व में बहुत कम कंपनियां आंतरिक लॉगिंग क्षमताओं से लैस हैं। आज ओएनजीसी की लॉगिंग सेवाएं सुदृढ़ प्रचालनों, मरम्‍मत अनुरक्षण, आंकड़ा व्‍याख्‍या और अनुसंधान एवं विकास सक्षमताओं के साथ अपनी तरह का सबसे बड़ा राष्‍ट्रीय प्रयास है।

वर्तमान में 28 विभागीय लॉगिंग इकाइयाँ (अभितट स्‍थानों में 24 और मुंबई अपतट में 4 इकाइयाँ) और 65 संविदात्‍मक इकाइयां तैनात की गई हैं। ओएनजीसी औज़ारों वाली 23 अति आधुनिक लॉगिंग इकाइयों, अभितट स्‍थानों के लिए 19 और पश्चिमी अपतट के लिए 4 इकाइयों के प्रतिस्‍थापन की प्रक्रिया में है। अगरतला और बोकारो में दो-दो इकाइयों के साथ दो नए विभागीय लॉगिंग आधार तैयार किए जाएंगे। इस प्रतिस्‍थापन के साथ पूरे लॉगिंग फील्‍ड में अद्यतन उपकरण शामिल होंगे, जो तकनीकी सक्षमताओं और प्रचालनात्‍मक दक्षताओं में सुधार करेंगे।
वर्तमान में लॉगिंग प्रचालनों में सुरक्षा वातावरण में वृद्धि करने के लिए अनेक पहलें की गई हैं, जिनमें लॉगिंग इकाइयों की गति का पता लगाने के लिए जीपीएस और स्‍पीड गवर्नरों का संस्‍थापन शामिल है। बेहतर निगरानी और प्रचालनात्‍मक सुरक्षा के लिए लॉगिंग के दौरान लॉगिंग प्रचालनात्‍मक क्षेत्रों की सीसीटीवी कवरेज के लिए सभी स्‍थानों पर पहल सुनिश्चित की गई है।

गैर-भूकंपीय आंकड़ा प्राप्ति प्रोसेसिंग एवं व्‍याख्‍या (एपीआई)

ओएनजीसी ने पूर्वोत्‍तर के संभारतंत्रीय दृष्टि से दुर्गम क्षेत्रों में बेहतर उप-सतही इमेजिंग के लिए प्रयास आरंभ किए हैं और मिजोरम और उत्‍तरी असम शेल्‍फ में दक्षिण-पूर्वी गेलकी में कच्‍छार (एनईएलपी पूर्व ब्‍लॉक, एए-ओएनजे/2) और एनईएलपी ब्‍लॉक, एए-ओएनएन-2001/2 में एयरबोर्न ग्रैविटि ग्रेडियोमीटरी (एजीजी) लगभग 5574 वर्ग किलोमीटर सर्वेक्षण आँकड़े प्राप्‍त कर लिए हैं। ये आंकड़े नए हाइड्रोकार्बन आरक्षित भंडारों का पता लगाने में सहायता करेंगे, जिससे इसके आरक्षित भंडारों के आधार और उत्‍पादन में वृद्धि होगी।

ओएनजीसी का अन्‍वेषणात्‍मक कार्य-निष्‍पादन

अब तक, 26 अवसादी बेसिनों की पहचान की गई है और इन्‍हें डीजीएच द्वारा संभाव्‍यता की उनकी मात्रा के आधार पर चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है। ओएनजीसी भारत में तेल अन्‍वेषण कर रहा है। तेल और प्राकृतिक गैस के संभावित आरक्षित भंडारों का पता लगाने के लिए 13 अवसादी बेसिनों में नामांकन और एनईएलपी व्‍यवस्‍था में रकबों में इसने प्रचालन किया है। पता लगाए गए अवसादी बेसिनों में असम शेल्‍फ, असम और असम – अराकान फोर्ड बेल्‍ट, कैम्‍बे (अभितट सहित), कावेरी (अभितट सहित), कृष्‍णा-गोदावरी (अभितट सहित), मुंबई अभितट, राजस्‍थान (जैसलमेर), कच्‍छ अपतट, महानदी अपतट, सौराष्‍ट्र अपतट, हिमालयन फोर लैंड, बंगाल और देश के पूर्वी और पश्चिमी तट सहित असम, मिज़ोरम, त्रिपुरा, गुजरात, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, राजस्‍थान, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और मध्‍य प्रदेश राज्‍यों में फैले विंध्‍यन बेसिन शामिल हैं।

ओएनजीसी का अन्‍वेषणात्‍मक कार्य-निष्‍पादन

वित्‍तीय वर्ष 2016-17, इस वर्ष के दौरान वर्धित अन्‍वेषण क्रियाकलापों पर अधिक जोर देने के साथ तेल और गैस अन्‍वेषण में पिछले दशक के सबसे सफल वर्षों में से एक रहा है। तेल और गैस अन्‍वेषण कंपनियों में से एक अग्रणी कंपनी होने के नाते ओएनजीसी ने 2डी और 3डी हेतु क्रमश: 122% और 105% तक अधिक भूकंपीय सर्वेक्षण लक्ष्‍य प्राप्‍त कर लिए हैं। 2डी भूकंपीय आंकड़ों के 215 एलके के लक्ष्‍य के प्रति 263 एलके प्राप्‍त किए गए थे और 7060 एसकेएम के लक्ष्‍य के प्रति 3डी भूकंपीय आंकड़ों के 7060 एसकेएम के लक्ष्‍य के प्रति 7408 एसकेएम आंकड़े पूरे कर लिए गए हैं। कुल मिलाकर, 100 अन्‍वेषणात्‍मक कूपों का वेधन किया गया था, जो पिछले वर्ष 2015-16 में वेधित 92 कूपों की तुलना में 8.7% अधिक है। इनमें से 43 कूप हाइड्रोकार्बन के उत्‍पादन वाले कूप प्रमाणित किए गए थे, जो 43% का सफल अनुपात है।

ओएनजीसी ने वित्‍तीय वर्ष 17-18 में 23 नई खोजें की हैं, जो पिछले वर्ष में की गई 17 खोजों से वर्ष-दर-वर्ष की गई खोजों की संख्‍या में 35% का आधिक्य हैं जिससे उद्योग में इसकी स्थिति को बल प्राप्‍त होगा। इन 23 नई खोजों में से 12 नई संभावनाएं हैं (एक संभावना को एक नया क्षेत्र माना गया है, जिसमें हाइड्रोकार्बन का संचयन है) जबकि 11 नए पूल हैं (एक पूल एक नए हॉरिजन में ज्ञात क्षेत्र में हाइड्रोकार्बन संचयन वाला है)। इंग्‍लैंड में 13 नई खोजें और अपतट कूपों में 10 खोजें की गई थीं। इस वर्ष में किए गए अन्‍वेषण के साहसिक कार्य ने भारत के उत्‍पादन के संभावना वाले बेसिनों में अत्‍यधिक वृद्धि कर दी है। कच्‍छ और सौराष्‍ट्र अपतट में एनईएलपी ब्‍लॉक में दो खोज, एमबीएस 051 एनएए-2 और जीकेएस 101 एमसीए-1 में तीव्र मार्ग मौद्रिकीकरण के जरिए श्रेणी-। (उत्‍पादनशील) बेसिनों में इन बेसिनों को उन्‍नत करने के विश्‍वास को पुनर्बलित किया है।

अपतट केजी बेसिन में एनईएलपी ब्‍लॉक केजी-ओएसएन-2009/2 में एसआरआई-। खोज ने पूर्वी तट के छिछले जल में साइन-रिफ्ट/डिपर प्‍ले की बड़ी संभावना उत्‍पन्‍न कर दी है। जाबरा-4 खोज ने विंध्‍यन बेसिन में पहली बार हाइड्रोकार्बन स्‍थापित किया है और इसे विंध्‍यन बेसिन को भारत के हाइड्रोकार्बन नक्‍शे पर लाने का गौरव प्राप्‍त हुआ है। इसके अलावा, असम शेल्‍फ में दयालपुर-। ने मल्‍टीपल प्‍लेज में सफलता दिलाई है (बेसमेंट से टिपम तक) और इस क्षेत्र में अन्‍वेषण में वृद्धि की है।

स्‍वस्‍थाने हाइड्रोकार्बन की वृद्धि (2पी) 135.24 एमएमटी (ओ+ओईजी) की है और आरक्षित भंडार की अंतिम वृद्धि, 2015-16 के लिए अंतिम आरक्षित भंडार के स्‍वस्‍थाने और 65.58 एमएमटी (ओ+ओईजी) के 134.01 एमएमटी (ओ+ओईजी) की वृद्धि (2पी) की तुलना में 64.33 एमएमटी (ओ+ओईजी) रही है।

वर्ष 2016-17 के दौरान आरंभिक स्‍वस्‍थाने हाइड्रोकार्बन अभिवृद्धि की महत्‍वपूर्ण विशिष्‍टता यह रही है कि इसका 87.3% अन्‍वेषणात्‍मक वेधन के जरिए था, जबकि बाकी 12.7% पुनर्मूल्‍यांकन के जरिए रहा है। इस वर्ष के लिए आरक्षित प्रतिस्‍थापन अनुपात (आरआरआर) 1.40 (बहुत अच्‍छा) और 1.45 (आपवादिक रेटिंग) के समझौता ज्ञापन के लक्ष्‍य के प्रति 1.45 रहा है।

इसके अलावा, वर्ष 2017-18 में अन्‍वेषणात्‍मक प्रयास जारी हैं जिसके लिए ओएनजीसी ने 110 अन्‍वेषणात्‍मक कूपों का वेधन करने और 3डी भूकंपीय सर्वेक्षण का 6368 एसकेएम, 2डी का 280 एलके सर्वेक्षण करने की योजना बनायी है । इन अन्‍वेषणात्‍मक प्रयासों के साथ 84.50 एमएमटीओई के अंतिम आरक्षित भंडारों की वृद्धि का विचार किया गया है। वर्तमान में, ओएनजीसी 09 नामांकन पीईएल ब्‍लॉकों में प्रचालनरत है और ओएनजीसी ने एक पीईएल को एमएल में रूपांतरित करने का आवेदन किया है। ओएनजीसी के पास नामांकन ब्‍लॉकों में 350 पीएमएल और 2 एलईएलपी-पूर्व ब्‍लॉक हैं। एनईएलपी व्‍यवस्‍था में इसके पास 30 पीईएल हैं (इंगलैंड में 18 ब्‍लॉक, छिछले जल में 11 ब्‍लॉक हैं और गहन जल में 1 ब्‍लॉक हैं), जिनमें 8 पीएमएल (काम्‍बे बेसिन में 5 पीएमएल, आंध्र प्रदेश में 1 पीएमएल, छिछले जल में 1 और गहन जल में 1 पीएमएल) शामिल हैं। इसके अलावा, ओएनजीसी के पास ऑनलैंड और छिछला जल (एसडब्‍ल्‍यू) सेक्‍टर कवर करते हुए देश के विभिन्‍न अवसादी बेसिनों में पड़ने वाले गैर-प्रचालक के रूप में तीन ब्‍लॉकों में सहभागिता हित है।

ओएनजीसी, वर्ष 2017-18 के लिए निर्धारित अपने लक्ष्‍यों की प्राप्ति हेतु सभी प्रयास कर रहा है। 280 एलके के लक्ष्‍य के प्रति 2डी भूकंपीय आँकड़ों का 255 एलके प्राप्‍त कर लिया गया है और चालू वर्ष के दौरान 2218 एसके के लक्ष्‍य के प्रति 1473 एसके का 3डी भूकंपीय आँकड़ा पूरा कर लिया गया है। इसके अलावा, पिछले वर्ष के फील्‍ड सत्र 2016-17 के दौरान 3डी के 913 एसकेएम भूकंपीय आँकड़े अधिक प्राप्‍त किए गए हैं। 01.11.2017 को यथास्थिति 2डी और 3डी के भूकंपीय सर्वेक्षण लक्ष्‍य क्रमश: 127% और 66% तक प्राप्‍त कर लिए गए हैं। कुल 55 अन्‍वेषणात्‍मक कूपों का वेधन किया गया है, जिनमें से 20 कूप हाइड्रोकार्बन उत्‍पादनशील साबित हुए हैं, जो 36% का सफल अनुपात है।